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अब ट्रेनों के कोच सफाई से चमकेंगे, रेलवे अपनाएगा धुलाई का हाईटेक सिस्टम..

देहरादून (गौरव ममगाई)। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय रेलवे का तेजी से कायाकल्प हो रहा है। पहले वंदे मातरम जैसी महत्वाकांक्षी स्पीड ट्रेनें शुरू की, और अब सामान्य ट्रेनों में स्वच्छता के लिए उठाया गया कदम चर्चाओं में है। दरअसल, अब रेलवे ने ट्रेन के कोचों की धुलाई के लिए ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट को मंजूरी दे दी है। यह प्लांट मैकेनाइज्ड क्लीनिंग सिस्टम बेस्ड है, जो आटोमेटिक हाईप्रेशर से कोच स्वच्छ बनाते हैं। खास बात यह भी कि ये टॉयलेट को भी स्वच्छ रखने व संक्रमणमुक्त बनाने में सक्षम हैं। यह कदम ट्रेनों में यात्रा करने वाले यात्रियों के हित में है।

कैसे काम करता है सिस्टमः::
अभी तक ट्रेन कोच की सफाई मैनुअल रूप से कर्मचारी ही करते हैं। इसमें 10 से 20 कर्मचारी लगते हैं और कई घंटे का समय लगता है। इसके बावजूद कोच की सफाई नहीं हो पाती है। कई बार कर्मियों पर भी काम में लापरवाही बरतने के आरोप लगते हैं। यही वजह है कि ट्रेनों में अक्सर साफ-सफाई न होने की शिकायतें भी मिलती रही हैं।

आटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट देश के अनेक मुख्य रेलवे स्टेशनों में लगाया जाएगा। यह प्लांट पीपीपी (पब्लिक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट) मॉडल पर लगाये जाएंगे। ये सिस्टम 24 कोच वाली ट्रेन को 15 मिनट में धुलाई करने में सक्षम हैं। यह सिस्टम ट्रेन के गुजरने पर कैमिकल का छिड़काव करता है। इसके बाद बड़े-बड़े ब्रुश से कोच के बाहर व भीतर रगड़कर गंदगी को हटाता है, जिसके बाद हाईप्रेशर वाटर का छिड़काव करके सफाई की जाती है। इससे कोच संक्रमणमुक्त हो जाते हैं और यात्रा करने में स्वास्थ्य दृष्टि से अनुकूल माने जा सकते हैं।

ये हैं फायदेः:
जल संरक्षणः अभी तक मैनुअल सफाई व्यवस्था में कर्मचारी सामान्य पाइप से धुलाई करते हैं, जिससे काफी अधिक मात्रा में पानी व्यर्थ बहता रहता है। कर्मचारी भी पानी का संरक्षम करने में गंभीरता नहीं बरतते हैं, लेकिनए इस नये सिस्टम के लगने के बाद 80 प्रतिशत पानी को बचाया जा सकेगा। महज 20 प्रतिशत पानी से हाईप्रेशर के माध्यम से सफाई की जा सकेगी।

शौचालय होंगे संक्रमणमुक्तः: आमतौर पर ट्रेन के शौचालय को प्रयोग करने में रेलयात्री हिचकते दिखते हैं, क्योंकि उनमें सफाई को लेकर रेलयात्री अक्सर संतुष्ट नहीं रहते हैं, लेकिन नया सिस्टम लगने के बाद शौचालय को साफ रखा जा सकेगा। शौचालय को संक्रमणमुक्त बनाया जाएगा।

रेल यात्रा को मिलेगा प्रोत्साहनः:: ट्रेन में स्वच्छता होने पर रेलवे की छवि भी सुधरेगी। रेल यात्री बढ़ेंगे व रेल यात्रा को प्रोत्साहन मिलेगाए इससे राजस्व भी बढ़ेगा।

मैन पावरः अभी मैनुअल सिस्टम में ट्रेन कोच की धुलाई में 10 से 20 कर्मचारी लगते हैं, जबकि इस सिस्टम में केवल आपरेटर की जरूरत पड़ेगी। इससे अन्य कर्मियों का अन्य काम में उपयोग किया जा सकेगा।

ट्रेनों के आधुनिकीकरण में तेजी के बाद मोदी सरकार अब ट्रेनयात्रियों को सस्ताए सुगम एवं सुरक्षित यात्रा कराने के लिए प्रयासरत है। इस दिशा में ट्रेनों की धुलाई में आधुनिकीरण को अपनाना एक अच्छा कदम है।

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