नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला किया है। लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करते हुए ‘गार्ड’ के पद को ‘ट्रेन मैनेजर’ का नाम दे दिया है। रेल मंत्रालय ने कहा कि मान्यता प्राप्त संघों के परामर्श से रेलवे बोर्ड में पदनाम के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया गया था। मंत्रालय ने कहा कि ‘ट्रेन मैनेजर’ का नया पदनाम उनके मौजूदा कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के अनुरूप अधिक है। साथ ही कर्मचारियों के प्रेरणा स्तर में सुधार का भी दावा किया।
रेल मंत्रालय ने 13 जनवरी के एक आदेश में कहा कि ‘असिस्टेंट गार्ड’ और ‘गुड्स गार्ड’ को अब क्रमशः ‘असिस्टेंट पैसेंजर ट्रेन मैनेजर’ और ‘गुड्स ट्रेन मैनेजर’ के रूप में जाना जाएगा। ‘मेल/एक्सप्रेस गार्ड’ को ‘मेल/एक्सप्रेस ट्रेन मैनेजर’ के रूप में जाना जाएगा। इसी तरह ‘सीनियर गुड्स गार्ड’ और ‘सीनियर पैसेंजर गार्ड’ को क्रमशः ‘सीनियर गुड्स ट्रेन मैनेजर’ और ‘सीनियर पैसेंजर ट्रेन मैनेजर’ के रूप में फिर से नामित किया गया है।
क्या नया पदनाम वेतनमान को भी प्रभावित करेगा?
रेल मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि पद का नाम बदलने से वेतनमान में कोई बदलाव नहीं होगा। भर्ती का तरीका, वरिष्ठता और पदोन्नति को लेकर लिए जाने वाले फैसले से पहले की तरह रहेंगे। उनमें कोई भी बदलाव नहीं होगा। आदेश में कहा गया है, “संशोधित पदनाम उनके वेतन स्तर, भर्ती की पद्धति, मौजूदा कर्तव्यों और जिम्मेदारियों, वरिष्ठता और पदोन्नति के रास्ते में कोई बदलाव नहीं करेंगे।”
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक ट्रेन गार्ड वस्तुतः संबंधित ट्रेन का प्रभारी होता है। मांग उठाई गई थी कि मौजूदा पदनाम पुराना हो गया है। रेलवे के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘ट्रेन मैनेजर’ उनके लिए एक सम्मानजनक पद होगा “ताकि वे भी समाज में एक सम्मानजनक जीवन जी सकें।”