अब UPI पेमेंट होगा चार्जेबल? RBI गवर्नर के बयान से बढ़ी चिंता

नई दिल्ली: डिजिटल इंडिया की सबसे बड़ी ताकत बन चुकी यूपीआई (UPI) सेवा पर अब संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ऐसा बयान दिया जिससे करोड़ों डिजिटल उपभोक्ताओं की पेशानी पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यूपीआई पेमेंट हमेशा के लिए फ्री नहीं रह सकता। फिलहाल यूपीआई के जरिए किसी भी रकम का ट्रांजैक्शन मुफ्त है। आप 1 रुपये ट्रांसफर करें या 1 लाख कोई शुल्क नहीं लगता। लेकिन RBI गवर्नर ने साफ किया कि इस मुफ्त सुविधा के पीछे सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी है, जिससे बैंक और अन्य भुगतान सेवा प्रदाता अपने इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत को पूरा करते हैं।
“कोई न कोई तो देगा लागत” – गवर्नर का दो टूक बयान
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने बयान में कहा “किसी न किसी को लागत वहन करनी होगी। कोई भी सेवा, खासकर इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण सेवा, हमेशा मुफ्त नहीं चलाई जा सकती।” इसका सीधा मतलब है कि सरकार हमेशा सब्सिडी जारी नहीं रख सकती। भविष्य में या तो यूजर्स को कुछ शुल्क देना पड़ सकता है, या फिर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) वापस लाया जा सकता है, जिसे दिसंबर 2019 में खत्म कर दिया गया था।
क्या बदल सकता है यूपीआई का पूरा मॉडल?
इस बयान के बाद यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या आने वाले समय में यूपीआई से भुगतान करने पर शुल्क देना पड़ेगा? हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन संकेत यही हैं कि फ्री डिजिटल पेमेंट की सुविधा स्थायी नहीं है। सरकार और RBI अब यह सोच रहे हैं कि इस व्यवस्था को टिकाऊ कैसे बनाया जाए।
डिजिटल लेनदेन को कैसे मिलेगा संतुलन?
अगर यूपीआई पर शुल्क लागू किया गया तो इसका सीधा असर छोटे व्यापारियों, ग्राहकों, और फ्रीक्वेंट डिजिटल ट्रांजैक्शन यूजर्स पर पड़ेगा। डिजिटल भुगतान की आदत अब देश के हर कोने में पहुंच चुकी है, ऐसे में नीति-निर्माताओं को एक संतुलन साधने की जरूरत है ताकि न तो सिस्टम पर बोझ पड़े और न ही जनता पर।