राजनीति

अब संन्यास के बाद ‘राजनीतिक कुश्ती’ लड़ेंगे पहलवान!

दस्तक ब्यूरो, देहरदून। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई न होने से आहत कई अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान किया है। कई पहलवानों ने अपने राष्ट्रीय सम्मान मेडल भी केंद्र सरकार को लौटा दिये हैं। पहलवानों के संन्यास की घोषणा के बाद यह चर्चा होने लगी थी कि अब आगे पहलवान क्या करेंगे। लेकिन, आज बुधवार की सुबह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हरियाणा में कई पहलवानों से मुलाकात की, जिसके बाद से यह सवाल उठने लगा है कि क्या पहलवान अब राजनीतिक अखाड़े में कुश्ती करते नजर आयेंगे ? क्या पहलवान कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं ?

भले ही पहलवानों द्वारा भाजपा सासंद बृजभूषण शरण सिंह पर लगाये महिला शोषण के आरोपों में दम हो, लेकिन इस मामले को शुरू से ही कांग्रेस ने तूल देने की कोशिश की है। दिल्ली में पहलवानों के आंदोलन में सबसे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा पहुंची थी। उन्होंने पहलवानों को जंग जारी रखने को कहा। हरियाणा से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले दिन से ही आंदोलन से जुड़े हुए हैं। वह यहां तक कह चुके हैं कि पहलवानों के एक-एक आंसू का हिसाब लिया जाएगा। इसका यह संकेत माना गया कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में हरियाणाम में पहलवानों का मुद्दे को खूब भुनायेगी और भाजपा को घेरेगी।

 अब आज बुधवार की सुबह कांग्रेस नेता राहुल गांधी हरियाणा के झज्जर में कुश्ती के अखाड़े में पहुंचे और कई महिला-पुरूष पहलवानों से मुलाकात की। उन्होंने पहलवानों के साथ लंबी बातचीत की। एक के बाद एक कांग्रेस नेताओं का आंदोलनकारी पहलवानों से मिलना और कांग्रेस नेताओं द्वारा इस मुद्दे पर आगामी चुनाव में भाजपा को घेरने की बात करने के पीछे बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है। ऐसी चर्चाएं हैं कि कांग्रेस हरियाणा में पीएम मोदी को रोकने के लिए पहलवानों के मुद्दे का सहारा ले सकती है। इसके लिए कांग्रेस कृष्णा मलिक, बजरंग पूनिया जैसे अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेताओं को भी मैदान में उतारना चाहती है। कांग्रेस पहलवानों के सहारे अपनी नैया पार लगाने की कोशिश करेगी। कृष्णा मलिक के संन्यास की घोषणा, फिर बजरंग पूनिया का पद्मश्री सम्मान लौटाना और अब विनेश फोगाट द्वारा मेडल वापसी की घोषणा करने के बाद इन चर्चाओं को और बल मिलता नजर आ रहा है। चर्चा है कि संन्यास के बाद पहलवान राजनीति में पदार्पण कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक पहलवानों ने इस बारे में अपना प्लान सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन यदि पहलवान राजनीतिक अखाड़े में उतरते हैं तो यह कुश्ती देखना बेहद दिलचस्प होगा।

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