NSG में भारत की सदस्यता की राह में रोड़ा अटका रहे चीन को मनाने के लिए मोदी करंगे कोशिश
एजेंसी/ नई दिल्ली : न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत की सदस्यता की राह में रोड़ा अटका रहे चीन को मनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी खुद कोशिश कर सकते है। इसके लिए मोदी चीन की यात्रा पर भी जा सकते है। 44 सदस्य देशों में से कई देशों समेत अमेरिका भारत के पक्ष में है, लेकिन भारत की सदस्यता के विरोध में चीन ने दलील दी है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। एऩएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्दोगिकी तक पहुंच को आसान बनाता है।
इससे पहले तक कई देश भारत का इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर भारत की ओर से दस्तखत नहीं किया गया है, लेकिन अब इनमें से कई देशों ने नरमी दिखाई है, लेकिन चीन अब भी अपने रुख पर कायम है। वियाना में भी चीन ने सीधे तौर पर अड़ंगा न लगाते हुए एनपीटी के जरिए अड़ंगा डाला है। 48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं।
भारत की अर्जी पर उतर कोरिया की राजधानी सियोल में विचार किया जाएगा। इस माह के अंत में सियोल में होने वाले एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में इस पर विचार किया जाएगा। सियोल में 24 जून को एनएसजी का पूर्ण अधिवेशन होने वाला है। कहा जा रहा है कि भारत इसी कारण चीन पर बयान देने से बच रहा है।
इससे कहीं चीन का मूड न खराब हो जाए और वो कोई ठोस कदम न उठा ले। इसके अलावा, अगर भारत शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के लिए तय सीमा में जरूरी प्रॉसेस पूरी कर लेता है तो बैठक में पाक के साथ शामिल हो सकता है।
कहा जा रहा है कि मोदी एससीओ के बहाने 23-24 जून को चीन जा सकते है। वहां वो शी जिनपिंग से निजी तौर पर मुलाकात करके मनाने की कोशिश करेंगे। एससीओ जनरल सेक्रेटरी राशिद आलिमोव के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान ने समिट में शामिल होने की मुख्य शर्तों पर सहमति जताई है। बता दें कि भारत को अमेरिका, मैक्सिको, स्विटजरलैंड और जापान ने समर्थन देने का वादा किया है।