लखनऊ में जलाई गईं रामचरितमानस की प्रतियां, OBC महासभा ने की संशोधन करने की मांग
लखनऊ: श्रीरामचरित्र मानस को लेकर इन दिनों सियासी तूफान मचा हुआ है। यहां पीजीआई इलाके में आज सुबह लगभग 9:30 बजे रामचरितमानस की प्रतियों को फाड़कर जला दिया गया। भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ता सेक्टर-9 स्थित निकट आवास विकास कार्यालय पहुंचे। यहां पर ग्रंथ के खिलाफ नारेबाजी कर इस पर बैन लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि या तो कुछ पंक्तियों का संशोधन कराया जाए या फिर जातिगत जनगणना सरकार करे।
बता दें, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी समाज उतरा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि तुलसीदास को तनिक भी ज्ञान नहीं था। उन्होंने सनातन धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ में नारियों, शूद्रों व वैश्य समाज के लोगों ने लिए गलत बात कही है। कुछ पंक्तियों में इसका गलत तरीके से वर्णन किया गया है, जो कि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह अधर्म है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है। मौर्य ने कहा था कि रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और कुम्हार जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं। उन्होंने मांग की कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं।
स्वामी प्रसाद के खिलाफ 295-ए धार्मिक भावना को आहत करने, 153-ए धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा कर शांति भंग करना, 505 (2) घृणा पैदा करने के उद्देश्य से बयान देना और 504 शांति भंग करने का इरादा रखने की धाराएं लगाई गई हैं।