20-50 फॉर्मूले पर होगा मप्र के अधिकारियों-कर्मचारियों का परीक्षण
भोपाल : प्रदेश में नौकरी करने के लिए अपात्र आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राज्य प्रशासनिक, राज्य पुलिस, मंत्रालय सहित अन्य सेवाओं के अधिकारियों को चिन्हित करने के लिए दिसंबर में बैठक होगी। इसमें 20 साल की सेवा या 50 साल से अधिक आयु के आधार पर अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों का परीक्षण किया जाएगा। सामान्य प्रशासन, गृह सहित अन्य विभागों ने अपने अधीन आने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की जानकारी मंगाई है, जिसका परीक्षण करके प्रतिवदेन तैयार होगा और फिर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश में प्रतिवर्ष विभागीय छानबीन समिति की बैठक करके अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवा अभिलेख के आधार पर प्रतिवेदन तैयार किया जाता है। इसमें जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को शासकीय सेवा में रहने योग्य नहीं पाया जाता है, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रस्ताव बनाकर अनुशंसा सहित अंतिम निर्णय के लिए भेजे जाते हैं।
पूर्व में आईएएस अधिकारी एमके सिंह, आइपीएस अधिकारी डा. मयंक जैन, आइएफएस अधिकारी देवेश कोहली को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। डा. मयंक जैन ने इस निर्णय के विरुद्ध प्रशासनिक अधिकरण में अपील की है, जो विचाराधीन है। जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि छानबीन समिति अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों का परीक्षण करती है। इसमें यह देखा जाता है कि सेवाकाल कैसा रहा है। आर्थिक अनियमितता, पद के दुरुपयोग सहित अन्य किसी शिकायत के कारण दंडित तो नहीं किया गया है। इस आधार पर समिति की अनुशंसा पर सरकार निर्णय लेती है। राज्य सेवा के अधिकारियों के संबंध में प्रस्ताव मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद राज्य लोक सेवा आयोग और अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के संबंध में केंद्र सरकार के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाते हैं।
निर्देश दे चुके हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासकीय सेवा में रहने के लिए निर्धारित मापदंड पूरा न करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को सेवा से बाहर करने के निर्देश सभी विभाग को दे चुके हैं। उनके निर्देश पर ही छानबीन समितियों ने पिछले साल 20 साल की सेवा या 50 साल की आयु पूरी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाओं का आकलन किया था।