आयुष्मान से होगा अधिकारी एवं कर्मचारियों का मुफ्त इलाज
भोपाल : प्रदेश में लंबे समय से स्वास्थ्य योजना की मांग कर रहे कर्मचारियों को अगले महीने यह सौगात मिल सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगले महीने 26 जनवरी को अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए मुफ्त चिकित्सा योजना का ऐलान कर सकते हैं। जिसके तहत कर्मचारी कहीं अपना इलाज करवा सकते हैं। खास बात यह है कि मप्र सरकार उत्तराखंड सरकार की तर्ज पर स्वास्थ्य योजना लागू करने जा रही है। जिसके तहत सभी अधिकारी एवं कर्मचारी आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करा पाएंगे।
उत्तराखंड की तर्ज पर मप्र सरकार प्रदेश के सभी अधिकारी,कर्मचारी एवं उनके आश्रित परिजनों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाएगा। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। क्योंकि कमलनाथ सरकार के समय कर्मचारी-अधिकारियों को 5 से 10 लाख का उपचार मुहैया कराने की योजना बनी थी, जिस पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। अब प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में विभिन्न कर्मचारी संगठनों का सरकार पर दबाव है कि अधिकारी, कर्मचारी एवं पेंशनरों को हर साल उपचार के लिए 5 लाख एवं गंभीर उपचार के लिए 10 लाख की सुविधा देने पर अमल किया जाए। इस संबंध में वित्त विभाग 19 फरवरी 2020 को आदेश भी जारी कर चुका है। वित्त विभाग के इसी आदेश का पालन कराने के लिए कर्मचारी संगठन सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
कर्मचारी संगठनों के साथ-साथ राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने सिफारिश की है कि मप्र राज्य कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना उत्तराखंड की स्वास्थ्य योजना समान है। ऐसे में उत्तराखंड की तर्ज पर इस योजना को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया जाए। स्वास्थ्य योजना में शामिल कर्मचारी एवं अधिकारियों से सातवें वेतनमान के अनुसार प्रतिमाह एक समान अंशदान लिया जाए। मप्र सरकार की प्रस्तावित स्वास्थ्य योजना में पेंशनर एवं कर्मचारियों से प्रतिमाह अंशदान के रूप में 250 रुपए एवं 1000 रुपए लेने का प्रावधान है।
प्रस्तावित स्वास्थ्य योजना में प्रदेश के 20 लाख से अधिक अधिकारी, कर्मचारी पेंशनर शामिल होंगे। जिनमें नियमित, विनियमित, संविदा, शिक्षक संवर्ग, होमगार्ड, कार्यभारित, स्वशासी संस्थाओं के कर्मचारी शामिल है। राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने पंचायत सचिव, सहायक सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एवं अन्य सभी कर्मचारियों को आयुष्मान भारत में शामिल करके स्वास्थ्य लाभ देने की सिफारिश की है। हालांकि निगम मंडलों के कर्मचारी एवं अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए योजना वैकल्पिक है।