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‘युवा’ और ‘करीबियों’ की कांग्रेस में दिग्गज लगे ठिकाने, राहुल-प्रियंका से खुश नहीं नेता पुराने!

नई दिल्ली : गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा, हाल ही में कांग्रेस के इन दो दिग्गजों ने अपने-अपने राज्यों के अहम पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, कांग्रेस में इस तरह का सियासी घटनाक्रम नया नहीं है। पार्टी या बड़े पदों से दूरी बनाने वाले दिग्गजों की फेहरिस्त लगातार बढ़ रही है। अब राजनीति की मौजूदा तस्वीर में ‘पुराने’ कांग्रेसियों की एग्जिट के तार ‘नए’ कांग्रेसियों की एंट्री और गांधी परिवार के करीबियों के बढ़ते कद से जुड़ रहे हैं। कांग्रेस छोड़ने वाले पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने मई में दावा किया था कि जल्दी कई कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी इसका कारण जानती हैं। उनका कहना था कि अगर नेताओं को पार्टी में सम्मान नहीं मिलेगा, तो वह इसे छोड़ सकते हैं। अब इसका एक उदाहरण शर्मा के पद से इस्तीफे में देखा जा सकता है, जहां वह ‘अपमानित’ होने की बात कह रहे हैं। हालांकि, वह कांग्रेस छोड़ने या भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की बात से इनकार कर चुके हैं।

जानकारों के अनुसार, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के वाड्रा के नेतृत्व में कांग्रेस खुद को ‘युवा दिखाने’ की कोशिश कर रही है। ऐसे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता खुद को अलग थलग महसूस कर रहे हैं। इनमें से कई वरिष्ठ नेता G23 में शामिल हैं, जो पार्टी के भीतर संगठन स्तर पर बदलाव की मांग कर रहे हैं। साल 2004 और 2009 में कांग्रेस का शानदार चुनावी प्रदर्शन देख चुके नेताओं को लगता है कि राहुल और प्रियंका खेमे की तरफ से उन्हें अलग किया जा रहा है। अब इसका एक उदाहरण दिवंगत राजीव साटव से जुड़ा हुआ है। एक बार उन्होंने कह दिया था कि साल 2019 में कांग्रेस के पतन के जिम्मेदार कुछ वरिष्ठ नेता और मंत्री थे। हालांकि, उन्होंने बाद में इस संबंध में स्पष्टीकरण भी जारी किया था।

कांग्रेस को युवा बनाने की तैयारी में भी पार्टी अपने कई बड़े नामों को खो चुकी है। इनमें मध्य प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम शामिल है। फिलहाल, वह भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इसके अलावा राहुल की करीबी मानी जाने वाली सुष्मिता देव, उत्तर प्रदेश से पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा रहे जितिन प्रसाद भी शामिल हैं। हाल ही में युवा राष्ट्रीय प्रवक्ता और वकील जयवीर शेरगिल भी पार्टी से बाहर हो गए।

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हैं। अब खबरें आई थी कि G23 के नेता अध्यक्ष पद से ज्यादा दिलचस्पी कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC और संसदीय बोर्ड के चुनाव में ले रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इस समूह के एक नेता ने कहा था, ‘यह ताकत के असली केंद्र हैं और जमीनी स्तर से जुड़े नेताओं का प्रतिनिधित्व जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल पार्टी में अधिकांश पद उन नेताओं से भरे हुए हैं, जो गांधी परिवार के करीब हैं। नेता का कहना है, ‘पार्टी के काम करने के तरीके पर सवाल उठाने वाले किसी भी नेता को इन नेताओं की तरफ से अपमानित किया जाता है, जिनका जमीन से जुड़ाव कम या बिल्कुल नहीं है।’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, एके एंटनी, अभिषेक मनु सिंघवी, अजय माकन, अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, अविनाश पांडे, गैखंगम, गुलाम नबी आजाद, हरीश रावत, जयराम रमेश, जितेंद्र सिंह, कुमारी शैलजा, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, लाल थनहावला, मुकुल वासनिक, ओमान चंडी, प्रियंका गांधी वाड्रा, पी चिदंबरम, रणदीप सिंह सुरजेवाला, रघुवीर सिंह मीणा, तारिक अनवर।

समाजवादी पार्टी से राज्यसभा जाने वाले कपिल सिब्बल भी कह चुके हैं कि जब अहम मुद्दों पर पार्टी के मत पर मंथन की बात आती है, तो कोई विचार विमर्श या निर्देश नहीं होते। हिमाचल प्रदेश की संचालन समिति से इस्तीफा देने वाले आनंद शर्मा भी दरकिनार होने की बात कह चुके हैं। वहीं, आजाद भी जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं किए जाने की शिकायत कर चुके हैं।

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