ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने सिर्फ एक किडनी से ट्रैक एवं फील्ड में रचा इतिहास
स्पोर्ट्स डेस्क : कोरोना वायरस का असर खिलाड़ियों की प्रैक्टिस पर भी पड़ा है हालांकि कुछ खेलो में और टोक्यो ओलंपिक व अन्य टूर्नामेंट की तैयारी के चलते प्रैक्टिस शुरू हो गयी है. इसी बीच ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने खुलासा किया कि मैंने टॉप स्तर पर सफलता पायी लेकिन सिर्फ एक किडनी के सहारे.
2003 में पैरिस में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता और आईएएएफ वर्ल्ड ऐथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) में लंबी कूद की गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट ने बताया कि दिक्कत ये भी थी कि उन्हें यहां तक कि दर्द निवारक दवाईयों से एलर्जी थी. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी.
अंजू ने ट्वीट में लिखा, मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में शामिल हूं जो एक किडनी के सहारे वर्ल्ड में टॉप स्तर पर पहुंची यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाइयों से एलर्जी थी, दौड़ को शुरू करते समय मेरा आगे वाला पांव सही काम नहीं करता था. कई सीमाएं थीं, तब भी मैंने सफलताएं हासिल की.
क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा बोल सकते हैं. उन्होंने बोला कि लोगों की आम राय के विपरीत मैंने तमाम अड़चनों को पाकर सफलताएं पायी और मेरे इस अनुभव से भावी प्लेयर्स को प्रेरणा मिलेगी. अंजू ने अपने इंटरनेशनल करियर की शुरुआत से पहले कुछ स्वास्थ्य वजहों से 2001 में बेंगलुरू में जब टेस्ट कराया तो उन्हें मालूम हुआ था कि उनकी एक ही किडनी है.
उन्होंने बोला कि फिर भी बॉबी (पति) ने मुझे करियर जारी रखने के साथ सफलता हासिल करने के लिए कहा और ये तक बोला कि मुझे कोई परेशानी होती है तो वो अपनी एक किडनी दे देंगे. उन्होंने बोला कि, अगर मैं तब अपने स्वास्थ्य के बारे में खुलासा करती तो हालत अलग होते.
वही अंजू के ट्वीट पर केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने बोला कि अंजू भारत का मान बढ़ाने के लिए ये आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता थी जिसमें समर्पित कोच और पूरी तकनीकी टीम का सहयोग रहा. अंजू ने महामारी के दौर में वर्तमान पीढ़ी के प्लेयर्स को प्रेरित करने के लिए ये बताया क्योंकि कई प्लेयर कोरोना के चलते प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं.
अंजू ने बोला कि पेरिस में 2003 में वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप से सिर्फ 20 दिन पहले जर्मनी के चिकित्सकों ने उन्हें छह महीने आराम करने की राय दी थी लेकिन मैंने सभी अड़चनों को पार कर पदक जीत़ा.
बताते चले कि अंजू भारतीय ऐथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने बताया कि, आईएएएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप (पेरिस 2003) में पदक विजेता, आईएएएफ वर्ल्ड ऐथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की गोल्ड मेडल चैंपियन है. वो ओलिंपिक-2004 में छठे पायदान पर थीं. उन्होंने तब 6.83 मीटर कूद लगाई थी. अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों की वजह से अयोग्य करार देने के बाद 2007 में पांचवां पायदान पाया था.
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