ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट लवलीना बोरगोहेन ने कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद कहा- मुझे ट्रायल देने में कोई परेशानी नहीं
नई दिल्ली: बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) उस समय मुश्किल में आ गया, जब नेशनल चैंपियन अरुंधति चौधरी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए बिना ट्रायल के 70 किग्रा वर्ग में ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट लवलीना बोरगोहेन को नामित करने के फैसले को अदालत में चुनौती दी। हालांकि टूर्नामेंट को मई 2022 तक के लिए स्थगित करने के साथ महासंघ ने कोर्ट बताया कि इसके लिए नए सिरे से ट्रायल किए जाएंगे और सभी को एक उचित मौका मिलेगा। बोरगोहेन ने अभी तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी थी। लेकिन, ओलंपिक डॉट कॉम से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे ट्रायल देने में कोई समस्या नहीं है। मैं हमेशा अपने महासंघ के निर्णय को मानती हूं। ट्रायल नहीं कराने का निर्णय महासंघ का था। मैंने इसे स्वीकार कर लिया था। अब यदि महासंघ ट्रायल करना चाहता है, तो मुझे कोई समस्या नहीं है। मैं एक फाइटर हूं और सिर्फ रिंग में लड़ने में विश्वास करती हूं।’
लवलीना ने टोक्यो ओलंपिक सेमीफाइनल में स्वर्ण पदक विजेता बुसेनाज सुरमेनेली से हारने के बाद से किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया है। उन्हें तुर्की बॉक्सर ने खतरनाक हुक और बॉडी शॉट्स के साथ वश में करते हुए मात दी थी। हालांकि, असमिया मुक्केबाज ने उस हार को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन उस बाउट के बारे में फिर से सोचने पर उन्हें दुख. होता है। उन्होंने उस मुकाबले को याद करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं अपनी ट्रेनिंग की कमी के कारण वह मुकाबला हार गई। कोविड-19 और मेरी व्यक्तिगत चोटों के कारण मैं ज्यादा प्रशिक्षण नहीं ले सकी। ओलंपिक के लिए आप अलग तरह से तैयारी करते हैं। लेकिन, मुझे लगता है कि मैं ऐसा नहीं कर सकी। अगर, मैं लगातार ट्रेनिंग करती, तो उसे हरा देती। टोक्यो में मेरे दिमाग में गोल्ड मेडल के अलावा कुछ नहीं था।’