राज्यस्पोर्ट्स

ओलंपिक : इस वजह से हॉकी के नियमों में हुए ये बड़े बदलाव

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक में कोरोना की वजह से हॉकी के फाइनल में पहुंची किसी टीम को बाहर होना पड़ता है तो सेमीफाइनल में उससे हारने वाली टीम को गोल्ड मैडल मैच में खेलने का अवसर मिलेगा. रविवार को जारी किए गए खेलों के खेल-विशिष्ट नियम (एसएसआर) जो इंटरनेशनल ओलंपिक समिति (आईओसी) और इंटरनेशनल महासंघों (आईएफ) ने मिलकर बनाये हैं.

ये कोरोना पॉजिटिव होने से पड़ने वाले असर और टूर्नामेंट के फॉर्मेट में इसके मैनेजमेंट को निर्धारित करने के लिए बनाए गए हैं. इन नियमों के मुताबिक, हॉकी में टीम कोरोना की वजह से भाग नहीं ले पाती हैं तो वे ‘डिस्क्वालीफाई’ नहीं होंगी, बल्कि वो डीएनएस (शुरुआत नहीं कर पाईं) चिन्हित होगी.

वही नॉकआउट चरण में कोई टीम कोरोना के चलते खेल नहीं सकती तो उनको हासिल न्यूनतम रैंकिंग सुरक्षित रहेगी और उस टाइम के हिसाब को देखते हुए उनकी प्रतिद्वंद्वी अगले दौर में चली जाएगी. इसके मुताबिक, अगर कोई टीम फाइनल में हिस्सा नहीं ले पाती है तो कोरोना से प्रभावित होने वाली टीम द्वारा हारने वाली टीम को फाइनल में खेलने की मंजूरी मिल जाएगी और वो गोल्ड मैडल के लिए खेलेगी.

वही सेमीफाइनल में दूसरी हारने वाली टीम को ब्रॉन्ज मैडल दिया जाएगा. हालांकि इन नियमों में फाइनल में पहुंची दोनों टीमों के पॉजिटिव आने की संभावित स्थिति का जिक्र नहीं है. वही ये भी नहीं बताया गया है कि कोरोना के चलते अगर सेमीफाइनल में हारने वाली टीम भी प्रभावित होती है तो क्या होगा

वैसे पिछले महीने आईओसी कार्यकारी समिति ने सभी खेलों में निरंतरता के रखने के मद्देनजर तीन मुख्य सिद्धांत रेखांकित किए. अगर कोई प्लेयर या टीम टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पाती है तो किसी प्लेयर या टीम को कोरोना के चलते ‘डिस्क्वालीफाई’ नहीं किया जाएगा. बल्कि डीएनएस लिखा जाएगा.

टूर्नामेंट के चरण को ध्यान में रखते हुए किसी प्लेयर या टीम का न्यूनतम नतीजा सुरक्षित रखा जाएगा. इसके अलावा जब कोई एथलीट या टीम नहीं खेल पाती है तो उनकी जगह अगले सर्वश्रेष्ठ एथलीट या टीम को उतारा जाएगा.

Related Articles

Back to top button