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ओलंपिक : पांच खेलों में बेटियों पर जिम्मेदारी, किसको पदक से विदाई की उम्मीद

स्पोर्ट्स डेस्क : जुलाई में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भारत का रिकॉर्ड 118 सदस्यीय दल खेलेगा जिसमे लगातार दूसरी बार रिकॉर्ड 54 बेटियों ने क्वालीफाई कर लिया है. इस बार ओलंपिक में पहली बार भारतीय प्लेयर 18 खेलों में खेलेंगे जिसमे से पांच में जिम्मा केवल बेटियों पर होगा.

इनमे शामिल प्लेयर्स में से टेनिस से सानिया मिर्जा और अंकिता रैना, तलवारबाजी में भवानी देवी, जूडो में सुशीला देवी, जिम्नास्टिक में परणीति नायक और वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू भी हैं. वैसे हरियाणा से सर्वाधिक 30 प्लेयर टोक्यो जाएंगे जिसमें से 18 बेटियां हैं. वैसे रियो ओलंपिक-2016 में दो बेटियों पीवी सिंधू (रजत) और पहलवान साक्षी मलिक (कांस्य) ने पदक जीटा था.

इसमें भारतीय चुनौती का जिम्मा टेनिस में सानिया मिर्जा और अंकिता रैना के ऊपर होगा जो युगल में खेलेंगी. इसमें सानिया चौथी बार व अंकिता रैना पहली बार ओलंपिक खेलेंगी. सानिया और बोपन्ना 2016 में कांस्य पदक के प्लेऑफ मैच में हारे थे और सानिया मिर्जा का ये अंतिम ओलंपिक होगा जिसे वो पदक जीतकर यादगार बनाना चाहेंगी.

वैसे पिछले 29 सालों में पहली बार कोई भारतीय पुरुष टेनिस प्लेयर ओलंपिक में नहीं होगा. सबसे पहले लिएंडर पेस और रमेश कृष्णन के बार्सिलोना ओलंपिक-1992 में भाग लेने के बाद से हर बार भारत की पुरुष युगल जोड़ी ओलंपिक का हिस्सा थी. वैसे पेस काफी टाइम तक महेश भूपति के साथ खेले रहे और फिर पेस और बोपन्ना रियो ओलंपिक 2016 में उतरे लेकिन ये जोड़ी पहले ही दौर में हार गई थी. इस बार बोपन्ना और दिविज शरण क्वालीफाई नहीं कर सके.

वही वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू (49 किलोग्राम) 21 वर्ष का पदक का सूखा खत्म कर सकती है. मणिपुर की 26 साल की वेटलिफ्टर मीरा दूसरी बार ओलंपिक खेलेगी. दुनिया की चौथे नंबर की प्लेयर मीराबाई ने अप्रैल में ताशकंद में एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्नैच में 86 किलोग्राम का भार उठाने के बाद क्लीन एंड जर्क में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए 119 किलोग्राम का वजन उठाया. वो कुल 205 किलोग्राम के साथ तीसरे पायदान पर रही थीं.

देश को वेटलिफ्टिंग में एकमात्र पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य दिलाया था. वही भवानी देवी ओलंपिक में अपने दम पर क्वालीफाई करने वाली देश की पहली तलवारबाज हैं जो वो अपने पहले ओलंपिक को यादगार बनाने के लिए पूरा जोर लगाएंगी. इटली में तैयारी कर रही भवानी वहीं से सीधे टोक्यो निकलेगी.

2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक अपने नाम कर चुकी जूडोका सुशीला देवी (48 किलोग्राम) को एशियाई कोटे से टोक्यो का टिकट मिला है. पहली बार ओलंपिक में खेलने को लेकर उत्साहित सुशीला ने चोट से उबर कर बेहतरीन वापसी की है. वही दीपा के बाद परिणीति 2019 में एशियन आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं जो ओलंपिक में खेलने वाली दूसरी भारतीय महिला जिम्नास्ट होंगी.

दीपा करमाकर रियो में चौथे पायदान पर रही थी. एशियाई कोटे से क्वालीफाई कर चुकी परिणीति भी दीपा की तरह अपनी छाप छोड़ने का इरादा रखेगी. वैसे सानिया टेनिस, मैरीकॉम मुक्केबाजी और डिस्क्रस थ्रोअर सीमा पूनिया चौथी बार ओलंपिक में खेलेंगी. वो सर्वाधिक बार इन खेलों में हिस्सा लेने वाली भारतीय महिला एथलीट विल्सन के रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी.

छह बार की विश्व विजेता मुक्केबाज मैरीकॉम ओलंपिक में पदक (2012, लंदन ओलंपिक) तो नौ साल पूर्व ही जीत चुकी हैं अब वो अपना अंतिम ओलंपिक में स्वर्णिम विदाई चाहेंगी.

अगर वो कोई भी पदक जीत लेती हैं तो वो देश के लिए ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला प्लेयर होगी. यही नहीं तीन बच्चों की मां देश की पहली ऐसी प्लेयर बन जाएंगी जो सांसद (मनोनीत सदस्य) रहते ओलंपिक में खेलेंगी. अब तक पुरुषों में केवल पहलवान सुशील कुमार ही ये रिकॉर्ड हासिल किया है.

 

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