अजब-गजब

OMG: ये फोटो खींचने के 3 महीने बाद फोटोजर्नलिस्ट ने दे दी थी अपनी जान

आपकी जिंदगी में कुछ लम्हें इतने अच्छे होते हैं जिन्हें आप कभी नहीं भूलना चाहते वहीं कुछ लम्हें ऐसे भी होते हैं जिन्हें आप याद नहीं रखना चाहते. आप लोगों के भी जीवन में कई बार ऐसे लम्हें आये होंगे जब आप बहुत ज्यादा खुश या बहुत ज्यादा दुखी हुए होंगे. अधिकतर लोग अच्छी यादों को संजो कर रखते हैं और बुरी यादों को भूलने की कोशिश करते हैं. लेकिन कुछ लम्हें ऐसे होते हैं जो ताउम्र आपके साथ रहते हैं. आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें वो यादें आपके ज़हन से कभी नहीं जाती. ऐसा ही कुछ हुआ मशहूर फोटोजर्नलिस्ट केविन कास्टर के साथ. केविन कास्टर साउथ अफ्रीका के मशहूर फोटोजर्नलिस्ट थे. वैसे तो उन्होंने अपने कैमरे में हजारों तस्वीरें कैद की लेकिन एक तस्वीर ने उनकी जिंदगी बदल दी. इस तस्वीर की वजह वह इतने आत्मग्लानी से भर गए कि उन्होंने खौफनाक कदम उठा लिया. ये फोटोशूट उनकी जिंदगी का आखिरी फोटोशूट बनकर रह गया. उन्होंने 27 जुलाई, 1994 को अपनी जान दे दी. वह मात्र 33 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए. आखिर क्या था पूरा माजरा, चलिए आपको बताते हैं.

बता दें, केविन ने मार्च 1993 में सूडान (साउथ अफ्रीका) जाकर अपनी जिंदगी का आखिरी फोटोशूट किया. यहां उन्होंने एक ऐसे दर्दनाक मंजर को अपने कैमरे में कैद किया जिस वजह से वह इतने परेशान हुए कि फोटोशूट के 3 महीनों बाद अपनी जान दे दी. दरअसल, ये तस्वीर साउथ सूडान में भूखमरी से जूझ रही एक बच्ची की थी. बच्ची भूखमरी के कारण इतनी कमजोर हो गयी थी कि उसमें चलने की भी शक्ति नहीं बची थी. इस तस्वीर में वह अपने माता-पिता की झोपड़ी तक रेंगकर जाने की कोशिश कर रही थी. माता-पिता खाने की तलाश में जंगल गए हुए थे. वहीं बच्ची से थोड़ी दूर एक गिद्ध ताक लगाये बैठा था कि कब बच्ची दम तोड़े और वह कब उसे अपना शिकार बना ले. केविन ने बताया था कि उन्होंने 20 मिनट तक गिद्ध के उड़ने का इंतजार किया लेकिन जब वह नहीं उड़ा तो ऐसे ही तस्वीर खींच ली. इस फोटो ने केविन को पुलिट्जर प्राइज जीताया. लेकिन ये प्राइज जीतने के 3 महीने बाद ही उन्होंने अपनी जान दे दी.

अवार्ड मिलने के बाद केविन ने इस तस्वीर को न्यूयॉर्क टाइम्स को बेचा. पहली बार ये फोटो 26 मार्च 1993 को प्रकशित हुआ. इस फोटो के नीचे कैप्शन दिया गया ‘metaphor for Africa’s despair’. फोटो के New York Times में प्रकाशित होते ही लोगों ने केविन से इस बच्ची के बारे में तरह-तरह के सवाल किये. कईयों ने तो आरोप भी लगाया कि वह चाहते तो इस इथोपियाई बच्ची को बचा सकते थे लेकिन उन्होंने फोटो खींचना ज्यादा उचित समझा. केविन उस बच्ची को हमेशा याद करते रहे. लोगों के सवाल और तानों से उनका मन बेचैन रहने लगा. उन्हें आत्मग्लानी होने लगी कि उन्होंने उस बच्ची को बचाने की कोशिश नहीं की और ना ही ये देख पाए कि वह जिंदा रही या चल बसी. वह इस बात से इतने परेशान हो गए कि 27 जुलाई, 1994 को अपनी जान दे दी.

सभी बॉलीवुड तथा हॉलीवुड मूवीज को सबसे पहले फुल HD Quality में देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

Related Articles

Back to top button