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ओमीक्रोन वायरस ज्यादा समय तक रह सकता है जिंदा, विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही बता चुका है खतरनाक

तोक्यो: अलग-अलग सतहों पर सबसे ज्यादा समय तक जिंदा रहने को ही ओमीक्रोन के सबसे ज्यादा संक्रामक होने की मुख्य वजह माना जा रहा है। ओमीक्रोन वेरिएंट प्लास्टिक की सतह पर आठ दिनों तक जिंदा रह सकता है। ताजा अध्ययन को जापान के क्योटो में स्थित प्रिफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है।

ओमीक्रोन वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही खतरनाक बता चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा कई यूरोपीय देशों में कोरोना के मामलों के बढ़ने के पीछे इस वेरिएंट को ही जिम्मेदार बताया गया है। क्योटो प्रिफेक्चरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने सार्स-कोव-2 वायरस के वुहान में मिले स्वरूप के अलग-अलग सतहों पर जीवित रहने की क्षमता की तुलना अन्य गंभीर स्वरूपों से की। शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप वायरस के वुहान वेरिएंट के मुकाबले त्वचा व प्लास्टिक की परत पर दोगुने से भी ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं।

यही कारण है कि इन स्वरूपों से संक्रमण की दर चीन के वुहान में मिले मूल वेरिएंट (स्वरूप) से कहीं ज्यादा दर्ज हुई है। हालांकि, इस अध्ययन की फिलहाल समीक्षा नहीं की गई है।शोधकर्ताओं ने बताया कि प्लास्टिक की सतहों पर वुहान स्वरूप औसतन 56 घंटे तक जीवित रह सकता है, जबकि अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप के मामले में यह अ वधि क्रमशः 191.3 घंटे, 156.6 घंटे, 59.3 घंटे, 114 घंटे और 193.5 घंटे आंकी गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार, त्वचा पर वुहान स्वरूप 8.6 घंटे तक टिके रहने में सक्षम है। वहीं, अल्फा स्वरूप 19.6 घंटे, बीटा स्वरूप 19.1 घंटे, गामा स्वरूप 11 घंटे, डेल्टा स्वरूप 16.8 घंटे और ओमीक्रोन स्वरूप 21.1 घंटे तक अपना अस्तित्व बचाए रख सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि दुनियाभर में बीते हफ्ते कोरोना वायरस संक्रमण के 2.1 करोड़ से ज्यादा नए मामले सामने आए।

यह महामारी की शुरुआत के बाद से साप्ताहिक स्तर पर सर्वाधिक आंकड़ा है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमित 2.1 करोड़ से ज्यादा नए मरीज आए । वहीं, संक्रमण से 50 हजार से अधिक लोगों की जान भी गई।डब्ल्यूएचओ की ओर से मंगलवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, बीते हफ्ते (17 से 23 जनवरी के बीच) वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के नए मामलों में पांच फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

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