पृथ्वी दिवस पर छात्रों ने मिट्टी बचाओ आंदोलन के जरिए लोगो को किया जागरूक
मिट्टी को संरक्षित रखने एवम बचाने के लिए लखनऊ के छात्र एवं छात्राओं द्वारा एक पद यात्रा का आयोजन किया गया। इस पदयात्रा के द्वारा लोगो को ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ से अवगत कराया गया। पदयात्रा 1090 चौराहे से शुरू होके लोहिया पार्क पर जा कर समाप्त हुयी।
वहां पहुँचकर छात्रों ने नृत्य एवं गायन द्वारा भी लोगों को संदेश पहुँचाकर जागरूक किया।
ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने पिछले महीने मिट्टी को बचाने के लिए आह्वान किया था और वह यूके से भारत की 30,000 किमी की यात्रा अकेले मोटरसाइकिल पर कर रहे हैं, जिसमें वह नागरिकों, नेताओं, और विशेषज्ञों से मिल रहे हैं, ताकि मिट्टी को बचाने का संदेश 3.5 अरब लोगों तक पहुंचाया जा सके, जो दुनिया के मतदाताओं का 60 प्रतिशत है। यह पूरा प्रयास सारे देशों के नेताओं को, मिट्टी में 3-6 प्रतिशत जैविक तत्व वापस लाने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने और कार्यवाही करने हेतु, समर्थन देने की ओर केंद्रित है।
खतरे की घंटियां बज रही हैं क्योंकि हमारी मिट्टी विनाश का सामना कर रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, धरती की 90 प्रतिशत मिट्टी 2050 तक बेकार हो जाएगी, जब तक कि हम तुरंत कार्यवाही नहीं करते। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन का अनुमान है कि हमारे पास सिर्फ 60 साल के लिए मिट्टी बची है। यह भी बताया गया है कि दुनिया की 52 प्रतिशत कृषि-भूमि पहले की कमजोर हो चुकी है। विश्व आर्थिक फोरम का अनुमान है कि बीस सालों में खाद्यान्न उत्पादन 40 प्रतिशत तक गिर सकता है, अगर मिट्टी के विनाश को नहीं रोका गया। अकेले भारत में, भारत की 62 प्रतिशत मिट्टी में जैविक तत्व 0.5 प्रतिशत से कम है। अतः इस दौर में मिट्टी को बचाने के लिए वैश्विक अभियान सबसे जरूरी है।