नेताओं से मिलने पर बोले CJI: केंद्र-राज्य सरकारों के प्रुमखों से मिलने का मतलब कोई डील नहीं!
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए देश के CJI ने कहा कि हम राज्य या केंद्र सरकार के मुखिया से मिलते हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई डील हो गई। चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि हमें राज्य के सीएम के साथ बातचीत करनी होती है, क्योंकि वे न्यायपालिका के लिए बजट देते हैं। यदि मुलाकात न करके केवल लेटर्स पर निर्भर रहें तो काम नहीं होगा।
अपने सम्बोधन में उन्होंने आगे कहा कि ये मीटिंग पॉलिटिकल मैच्योरिटी का एक साइन है। मेरे करियर में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी CM ने कभी भी मुलाकात के दौरान किसी लंबित केस के बारे में कुछ कहा हो। इसके साथ ही CJI ने कहा कि कोर्ट और सरकार के बीच का एडमिनिस्ट्रेटिव रिलेशन, ज्यूडिशियरी के काम से अलग है। CM या चीफ जस्टिस त्योहारों या शोक में एक-दूसरे से मिलते हैं। यह हमारे काम पर कोई असर नहीं डालता।
अदालतों में छुट्टियों को लेकर उठने वाले सवालों पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि जजों पर काम का बहुत बोझ है। उन्हें सोचने-विचारने का भी समय चाहिए होता है, क्योंकि उनके फैसले समाज का भविष्य तय करते हैं। मैं खुद रात 3:30 बजे उठता हूं और सुबह 6:00 बजे से अपना काम शुरू कर देता हूं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक साल में 181 केस निपटाता है। जबकि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में इतने केस तो एक ही दिन में निपटाए जाते हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट हर साल 50,000 केस निपटाता है।
नेताओं से मुलाकातों को लेकर उन्होंने कहा कि वे न्यायपालिका के लिए बजट देते हैं, अगर पत्रों पर निर्भर रहेंगे तो काम नहीं होगा। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सरकार के प्रमुख जब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं, तो इन मुलाकातों में राजनीतिक परिपक्वता होती है।