सावन माह के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत पर बन रहे 2 शुभ योग, जानें पूजा मुहूर्त और महत्व
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नई दिल्ली : वरलक्ष्मी व्रत हर साल सावन माह के अंतिम शुक्रवार को रखा जाता है. इस दिन व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति को धन-संपत्ति, वैभव, संतान, सुख, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है. इस साल वरलक्ष्मी व्रत के दिन सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि समेत 2 शुभ योग वरलक्ष्मी व्रत के दिन बन रहे हैं. इस व्रत को सुहागन महिलाएं और पुरूष रखते हैं. वरलक्ष्मी व्रत कब है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
इस साल वरलक्ष्मी व्रत 25 अगस्त दिन शुक्रवार को है. उस दिन नवमी तिथि देर रात 02 बजकर 02 मिनट तक रहेगी. अनुराधा नक्षत्र सुबह 09:14 बजे तक है और उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र है. उस दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है.
25 अगस्त को वरलक्ष्मी व्रत वाले दिन 2 शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग बन रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 55 मिनट से बन रहा है, जो सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक होगा. वहीं रवि योग सुबह 09 बजकर 14 मिनट से बनेगा और अगले दिन 26 अगस्त शनिवार को सुबह 05 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इस तरह से देखा जाए तो सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में वरलक्ष्मी व्रत और पूजा होगी.
वरलक्ष्मी व्रत 2023 पूजा मुहूर्त
वरलक्ष्मी व्रत के लिए पूजा के 4 शुभ मुहूर्त हैं, जो सुबह से लेकर रात तक हैं. आपको जो मुहूर्त ठीक लगे, उसमें माता वरलक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं. यहां देखें पूजा मुहूर्त.
- पहला मुहूर्त: सिंह लग्न में- सुबह 05:55 बजे से 07:42 बजे तक
- दूसरा मुहूर्त: वृश्चिक लग्न में- दोपहर 12:17 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक
- तीसरा मुहूर्त: कुंभ लग्न में- शाम 06:22 बजे से शाम 07:50 बजे तक
- चौथा मुहूर्त: वृषभ लग्न में- रात 10:50 बजे से देर रात 12:45 बजे तक
माता लक्ष्मी की पूजा के लिए पहले मुहूर्त में 1 घंटा 46 मिनट, दूसरे मुहूर्त में 2 घंटा 19 मिनट, तीसरे मुहूर्त में 1 घंटा 27 मिनट और चौथे मुहूर्त में 1 घंटा 56 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
- वरलक्ष्मी व्रत करने से दरिद्रता खत्म होती है. आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होती है.
- वरलक्ष्मी व्रत के दिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से प्रचूर मात्रा में धन लाभ होता है.
- इस व्रत से वंश वृद्धि के उद्देश्य से पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण हो सकती है.
- वरलक्ष्मी व्रत और पूजा से धन और वैभव बढ़ता है. जीवन में सुख और शांति आती है. सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं.