26 या 27 अक्टूबर किस दिन है भाई दूज? आप भी कर लें कंफ्यूजन को दूर
नई दिल्ली : भाई दूज (Bhai Dooj ) का त्योहार कार्तिक मास (Kartik month) के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल 5 दिन के दीपोत्सव (Deepotsav) पर्व की तिथियों को लेकर खासी उलझन की स्थिति बनी हुई है, जिससे लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इस साल भाई दूज किस दिन मनाएंगे. भाई दूज 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाना सही रहेगा.
शास्त्रों के अनुसार यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन यमराज (Yamraj) अपनी बहन यमुना के घर दोपहर के समय आए थे और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था. तब वरदान में यमराज ने यमुना से कहा था कि यम द्वितीया यानी भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहनों के घर आकर भाई दूज मनाएंगे और उनके हाथों से बना भोजन करेंगे, उनको अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा. इसलिए भाई दूज दोपहर के समय मनाना अच्छा होता है. भाई दूज के दिन यमराज, यमदूत और चित्रगुप्त की पूजा की जाती है.
भाई दूज से जुड़ी धार्मिक व पौराणिक कथा यमुना और यमराज से जुड़ी है। इसके अनुसार, भगवान सूर्य की पत्नी छाया के गर्भ से दो संतान यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्यार करती थी। वह अपने भाई को हमेशा भोजन के लिए घर बुलाती थी। लेकिन यमराज अपने व्यस्त कार्यों से कारण यमुना के घर नहीं जा पाते थे और हमेशा टाल देते थे। एक बार कार्तिक शुक्ल के दौरान यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए आमंत्रित किया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राण हरने वाला हूं। इसलिए मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाता। लेकिन बहन यमुना जिस प्यार के साथ मुझे बुला रही है, उसका मान रखना भी मेरा कर्तव्य है। तब यमराज बहन यमुना के घर पहुंचे। भाई यमराज को अपने घर पर देख बहन यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने यमराज के लिए स्वादिष्ट पकवान बनाएं। यमराज को बहन द्वारा कराया गया भोजन और अतिथि सत्कार खूब पसंद आया। उसने खुश होकर बहन से जब कुछ मांगने को कहा तो यमुना ने यमराज से हर साल इसी दिन घर आने का वचन ले लिया।
यमुना ने कहा कि मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर सत्कार कर टीका करेगी, उसके भाई को यमराज का डर नहीं होगा। यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा और बहन यमुना को वस्त्र-आभूषण देकर यमलोक चले गए। तब से हर साल इस दिन भाई दूज पर्व मनाने की परपंरा चली आ रही है। मान्यता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर टीका कराते हैं, उसकी उम्र लंबी होती है और उसे यमराज का भय नहीं होता। इसलिए भाई दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है। साथ ही यह कथा सुनी जाती है।
पंचांग के अनुसार इस साल 2 दिन यानी की 26 और 27 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि लग रही है. द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 43 मिनट से लेकर 27 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. ऐसे में दोपहर को भाई दूज मनाने के चलन के अनुसार 26 अक्टूबर को ही भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा. वहीं जो लोग उदया तिथि के अनुसार भाई दूज मना रहे हैं, उन्हें दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से पहले भाई दूज मना लेना चाहिए.
26 अक्टूबर को भाई दूज मनाने के लिए शुभ मुहूर्त : दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक
27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक.