वीडियो कॉन्फ्रेंस से चल सकता है विधान मंडल का अगला सत्र : अध्यक्ष
लखनऊ: देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच सामाजिक दूरी बनाकर रखने की अनिवार्यता के मद्देनजर विधान मंडल का मानसून सत्र आगामी अगस्त में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित कराने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने रविवार को ऐसी संभावना जाहिर करते हुए कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही लेंगे।
दीक्षित ने बताया कि इस समय हम विधानमंडल का मॉनसून सत्र आयोजित कराने की सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं। इनमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का विकल्प भी शामिल है। उन्होंने कहा, विधान मंडल का सत्र लोक भवन में भी आयोजित किया जा सकता है जहां काफी जगह उपलब्ध है। इसके अलावा एक संभावना यह भी है कि विधानसभा के अंदर ऊपरी हिस्से की सीटें खाली कराई जाएं। उनमें सामाजिक दूरी रखते हुए 100-125 विधायकों को बैठाया जा सकता है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस सवाल पर कि क्या विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान सदन की तस्वीर बदली बदली सी नजर आएगी, दीक्षित ने कहा हां ऐसा हो सकता है। हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार लेगी।
इस सवाल पर कि क्या उत्तर प्रदेश विधान मंडल का आगामी सत्र ब्रिटिश संसद द्वारा आयोजित हाइब्रिड सेशन की तरह भी हो सकता है, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा कोई विचार नहीं है। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच ब्रिटिश संसद ने अप्रैल में हाउस ऑफ कॉमंस का हाइब्रिड सत्र आयोजित किया था, जिसमें सदन के अंदर बमुश्किल 10-12 सदस्य उपस्थित होते थे और बाकी सदस्य वीडियो कॉन्फ्रेंस से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते थे। सदन में सदस्यों की उपस्थिति बारी-बारी से आने की प्रणाली पर आधारित थी। ज्ञातव्य है कि देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश विधान मंडल का आगामी मानसून सत्र आयोजित होने की संभावनाओं पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।
विधानसभा में 403 सदस्य होते हैं जिनके बैठने के लिए सदन के अंदर लगभग इतने ही सीटें उपलब्ध हैं। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सरकार ने सामाजिक दूरी को अनिवार्य कर दिया है, लिहाजा विधानसभा के अंदर सभी सदस्यों को एक निश्चित दूरी पर बैठाने के लिहाज से जगह नहीं है।विधानसभा अध्यक्ष ने इससे पूर्व उम्मीद जाहिर की थी कि विधान मंडल के मानसून सत्र के समय तक महामारी खत्म हो जाएगी और सत्र का आयोजन परंपरागत तरीके से किया जा सकेगा लेकिन मौजूदा सूरते हाल इसकी इजाजत नहीं देती।