जयपुर। राज्य में भूमि सुधार के लिए जिप्सम की परत हटाने के लिए किसानों को ऑनलाईन परमिट जारी किए जाएंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम व जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि किसानों को जिप्सम परत उठाने के पट्टे जारी करने के लिए इसी माह से ऑनलाईन परमिट आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरु करने के निर्देश दे दिए गए हैं। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में खनिज जिप्सम के पट्टे जारी करने के परमिट आवेदन प्राप्त करने के लिए अलग से आदेश जारी किए जाएंगे।
गौरतलब है कि खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने खनिज जिप्सम का खेती में अत्यधिक उपयोग को देखते हुए पिछले दिनों ही प्रक्रिया के सरलीकरण और जल्दी ही परमिट कार्यवाही जारी करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। एसीएस माइंस ने बताया कि देश में जिप्सम के सर्वाधिक भण्डार राजस्थान में होने के साथ ही दलहन, तिलहन और गेहूं की पैदावार को बढ़ाने के लिए जिप्सम का उपयोग क्षारीय भूमि सुधार और भूमि के पोषक तत्व के रुप में प्रमुखता से किया जाता है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य के बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, जैसलमेर, चुरु व नागौर जिलों में करीब एक हजार मिलियन टन से भी अधिक के जिप्सम के भण्डार हैं। जिप्सम खनिज सामान्यतः सतही होने के कारण सतह से तीन मीटर गइराई तक जिप्सम के खनन को गैर खनन गतिविधि माना गया है और इस कारण से पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति प्राप्त करने की भी आवश्यकता नहीं है।
राज्य सरकार ने इसी माह जिप्सम के डीलरों के पंजीयन और ई परिवहन परमिट जारी करने की प्रक्रिया को आसान बनाते हुए पारदर्शी बनाया है। अब नए पंजीयन के लिए कोर्डिनेट्स के साथ स्टॉक यार्ड का मय खसरा रिकार्ड के लोकेशन मेप, स्टॉक यार्ड की भूमि का पट्टा या रेंट एग्रीमेंट, यदि यार्ड में जिप्सम भण्डारित हो तो उसकी मात्रा व दो हजार रु. के आवेदन शुल्क के साथ विभागीय वेबसाइट पर आवेदन की सुविधा दी गई है।
पहले से पंजीकृत डीलर को आवेदन शुल्क तो जमा नहीं कराना पडेगा पर अन्य आवश्यक दस्तावेज के साथ ऑनलाईन आवेदन करना होगा। नियमानुसार एक साल की अवधि के लिए पंजीयन प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा और सालाना फीस 25 हजार रुपये होगी।