राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 5 हृदय रोग विशेषज्ञ, एक महीने तक मरीजों को करना पड़ता है इंतजार
भोपाल : राजधानी के हमीदिया, बीएमएचआरसी एम्स, कमला नेहरू और जेपी हॉस्पिटल जैसे सरकारी अस्पतालों में रोजाना करीबन एक हजार से अधिक मरीज पहुंचते हैं, लेकिन, इनमें से 50 फीसदी को ही इलाज मिल पाता है। शहर के पांच बड़े सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 5 हृदय रोग विशेषज्ञ ही हैं। इनमें से 4 हमीदिया अस्पताल में हैं। इसलिए ओपीडी में हृदय रोगियों की भीड़ रहती है। मजबूरन लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
हमीदिया अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है। यहां चार कार्डियोलॉजिस्ट और दो कार्डियक सर्जन हैं। यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। अत्याधुनिक कैथ लैब में यहां रोजाना एक मेजर और सात मानइर सर्जरी की जाती हैं। फिर भी मरीजों की संख्या अधिक होने से 15 से एक महीने तक का इंतजार मरीजों को करना पड़ता है।
एम्स, भोपाल में भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। हालांकि, कार्डियक सर्जन के होने से यहां सर्जरी होती है। जेपी और कमला नेहरू अस्पताल में एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। बीएमएचआरसी में अभी हाल ही में कार्डियक ने इस्तीफा दे दिया है जबकि यहां आने वाले अधिकतर मरीज गैस पीड़ित हैं।
डॉक्टरों के अनुसार खराब जीवनशैली के कारण दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। प्रदेश में दिल की बीमारी से करीब 32 लाख लोग प्रभावित हैं। हर 100 में से 3 मरीज युवा हैं। अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से दिल की बीमारी बढ़ रही है। बच्चों को कम उम्र से ही फास्ट फूड देना इसका एक मुख्य कारण है। इसके अलावा तंबाकू, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, अनियमित नींद और तनाव बीमारी को बढ़ावा देते हैं।
हमीदिया में दिल के मरीजों की संख्या अधिक रहती है। फिर भी डॉक्टरों की टीम ज्यादा से ज्यादा मरीजों को देखने का प्रयास करती है। जीएमसी में पब्लिक एजुकेशन, पेशेंट अवेयरनेस और रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं।