राष्ट्रीय

दो हजार के नोट बिना आईडी प्रूफ के बदलने का विरोध, सुप्रीम कोर्ट का याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दो हजार के नोट को लेकर लिए गए फैसले पर आपत्ति जताई गई थी। ये याचिका अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर की गई थी। कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि इससे पहले एक बेंच कह चुकी है कि याचिकाकर्ता गर्मी की छुट्टी के बाद चीफ जस्टिस से सुनवाई का अनुरोध करें। दरअसल, हाल ही में दो हजार के नोटों को वापस लेने का एलान किया था। आरबीआई ने कहा था कि दो हजार के नोट किसी भी बैंक में जमा या बदलवा सकेंगे। इसके लिए ना तो किसी तरह की आईडी देनी होगी और ना ही किसी तरह फॉर्म भरना होगा। याचिकाकर्ता ने इसी को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी आरबीआई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने तब कहा था कि दो हजार के नोट वापस लेने का फैसला नीतिगत है और अदालत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

उधर, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बताया कि 2000 के नोट के रूप में अब तक 1.8 लाख करोड़ रुपये वापस आ गए हैं। आरबीआई के मुताबिक इस साल 31 मार्च को 2000 नोट के रूप में 3.6 लाख करोड़ रुपये बाजार में थे। यानी कि बाजार के 50 प्रतिशत 2000 के नोट बैंको में वापस आ गए हैं। बता दें कि 19 मई को आरबीआई ने 2000 के नोट को बाजार से वापस लेने की घोषणा की थी और गत 23 मई से बैंकों के माध्यम से 2000 के नोट को बदलने की शुरुआत की गई जो आगामी 30 सितंबर तक चलेगी। दास ने कहा कि बाजार में प्रचलित 2000 के 85 प्रतिशत नोट के वापस आने पर बैंकों के पास तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी होगी।

शक्तिकांत दास ने यह भी साफ किया कि 2000 के नोट के बाद 500 के नोट को वापस लेने या 1000 के नोट को फिर से शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को इस प्रकार के कयास नहीं लगाने चाहिए और इससे बचना चाहिए।

Related Articles

Back to top button