घट सकती है लोकसभा, विधानसभा चुनाव लड़ने की आयु सीमा, विपक्षी पार्टियां भी सहमत
नई दिल्ली : केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की उम्र सीमा को कम करने पर विचार कर रही है। वर्तमान में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84 (b) के तहत प्रावधान किया गया है कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनने हेतु न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। वहीं संविधान के अनुच्छेद 173 (b) में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनने हेतु इसी तरह का प्रावधान किया गया है। हालांकि अब देश की 65 प्रतिशत युवा आबादी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इस उम्र सीमा को 18 साल करने पर विचार कर रही है।
इससे पहले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद जयंत सिंह ने शुक्रवार को संसद में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। उनका यह बिल भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की आयु सीमा से संबंधित है। जयंत ने ट्वीट कर लिखा, “संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए उम्मीदवारी की आयु को घटाकर 21 वर्ष करने के वास्ते भारत के संविधान (अनुच्छेद 84 और 173) में संशोधन करने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया!” उन्होंने लिखा, “युवा भारत को राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए मेरी पहल! सिर्फ मतदान नहीं, विधानपालिका में सदस्य के रूप में देश को कुशल नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार!” जयंत के मुताबिक, लोकसभा और विधानसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार खुद इसे 18 साल करने पर विचार कर रही है। भारतीय संविधान भारत में नागरिकों को 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार देता है। हालांकि वर्तमान में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25 साल की उम्र होनी चाहिए।
उम्र सीमा घटाए जाने को लेकर कई तर्क दिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) जैसे स्थानीय चुनाव लड़ने की उम्र 21 है तो लोकसभा और विधानसभा के लिए 25 क्यों? इसके अलावा जब वोट डालने की उम्र 18 साल है तो फिर चुनाव लड़ने की उम्र अलग क्यों? इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को तमाम विपक्षी पार्टियों का समर्थन भी मिल सकता है। भाजपा और कांग्रेस के कई सदस्य चुनाव लड़ने की आयु सीमा घटाने के पक्ष में हैं।
रालोद, एमआईएम, वाईएसआरसीपी, राजद, बीजद, शिवसेना (उद्धव गुट) समेत कुछ दल आयुसीमा घटाने के पक्ष में हैं। कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इस बारे में गंभीरता से मंथन शुरू कर चुकी है। भारत युवा देश है, लेकिन सरकार का मानना है कि 2030 के बाद देश के लोगों की औसत उम्र बढ़नी शुरू हो जाएगी। इसलिए अगले 7-8 साल ही ऐसे हैं, जिनमें ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में संसद या विधानसभाओं में पहुंचने का मौका मिल सकता है।