जाँच की आँच से बचने के लिए मीडिया ट्रायल कर रहा भर्ती सिंडिकेट
देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चल रही UKSSSC भर्ती धांधली मामले में अब तक उत्तराखंड STF ने 29 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। इस मामले में एक ओर जहां अब पुलिस के हाथ बड़ी मछलियों तक पहुँच रहे हैं वहीं दूसरी ओर विधानसभा भर्ती और अन्य मामलों का अचानक से मीडिया में आना एक बड़े सिडीकेट की सोची समझी पटकथा का हिस्सा माना जा रहा है। यह इसलिए ताकि भर्ती घोटाले की जाँच की दिशा बदली जा सके।
एक ओर मुख्यमंत्री धामी पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह नौजवानों के रोजगार से जुड़ा मामला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे हम आगे के लिये भी एक नजीर बनाना चाहते हैं जिससे इस घटना की पुनरावृति न हो क्योंकि हमें अपने बेटे-बेटियों के आज और कल की चिंता है, उनके वर्तमान एवं भविष्य का सवाल है। हमें प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं का ऐसा सिस्टम बनाना होगा कि आगे भविष्य में कोई इस तरह का कृत्य करने की सोच भी न सके।
विधानसभा में भर्ती की हो निष्पक्ष जाँच- सीएम
इधर मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा में नियुक्तियों में गड़बड़ी की आ रही शिकायतों पर कहा कि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है, और हम विधानसभा अध्यक्षा से अनुरोध करेंगे कि विधानसभा में जितनी भी भर्तिया हुई है जिनमें शिकायत आ रही है, वो नियुक्ति चाहे किसी भी कालखण्ड की हो उनमें निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। विधानसभा अध्यक्षा द्वारा जांच कि विषय में राज्य सरकार से जो भी सहयोग मांगा जायेगा वह दिया जायेगा।
विपक्ष ने धामी के निर्णय को सराहा
इधर पूर्व सीएम हरीश रावत मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है “एक सिंडिकेट और सुनियोजित तरीके से राज्य की राजकीय सेवाओं में धन लेकर लोगों को भर्ती कर रहा था, एक गंभीर रोग और अब सारा उत्तराखंड सिमट आया है विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर। मैं मुख्यमंत्री के बयान की सराहना करता हूं।
सारी नियुक्तियों की जांच होनी चाहिए और मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि इन नियुक्तियों की अपने स्तर पर भी स्कैनिंग करें जो नियुक्ति नियम और विधि विधान के विरुद्ध हुई है, उन नियुक्तियों को विधानसभा प्रस्ताव पारित करके कैंसिल करे ताकि किसी भी अध्यक्ष को भविष्य में इस तरीके के दर्द कदम उठाने की हिम्मत न पड़े।“