नई दिल्ली : भाजपा सरकार को 2024 में हटाने की मंशा से विपक्षी एकता की कवायद लंबे समय से चल रही है। हालांकि अभी यह कोशिश के ही रूप में है। तमाम कोशिशों के बाद जब अरविंद केजरीवाल इस विपक्षी एकता मंच की ओर झुके तो यह सियासी गणित केरल और बंगाल में फेल होता नजर आ रहा है। दरअसल पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सीपीएम दोनों ही सत्ताधारी टीएमसी के खिलाफ नजर आती हैं। तो वहीं केरल में सीपीएम और कांग्रेस धुर विरोधी पार्टियां हैं। सोमवार को राहुल गांधी ने केरल में कांग्रेस नेतृत्व से बात की और कहा कि वह किसी भी राजनीतिक बदले से नहीं डरते। वहीं ममता बनर्जी ने सीपीएम और कांग्रेस दोनों पर ही भाजपा का साथ देने का आरोप लगा दिया। अब भाजपा के खिलाफ एकजुट होने के रास्ते में केरल और बंगाल एक बड़ी चुनौती बनकर खड़े हैं।
केरल कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरण कुछ विधायकों के साथ राहुल गांधी से सोमवार को मिले थे। राहुल गांधी ने ट्विटर पर ग्रुप फोटो पोस्ट किया और कहा, कांग्रेस पार्टी किसी भी राजनीतिक चाल से नहीं डरती है। कांग्रेस ने सीपीएम पर उसके नेताओं पर हमला करवाने का आरोप लगाया है। पटना में हुई विपक्ष की बैठक में देश के लोकतंत्र को बचाने की चर्चा हुई तो इसके बाद सीपीएम चीफ सीताराम येचुरी ने टीएमसी पर ही पश्चिम बंगाल में हिंसा करवाने के आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि एक तरफ टीएमसी लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को बाहर करने की बात करती है तो दूसरी तरफ अपने ही राज्य में लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही है। येचुरी ने कहा कि अगर ममता बनर्जी को लगता है कि उन्हें जनादेश मिल रहा है तो उन्हें डरने की क्या जरूरत है। पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष पंचायत चुनाव होने देना चाहिए। बंगाल में टीएमसी के खिलाफ कांग्रेस और सीपीएम गठबंधन में हैं तो वहीं केरल में हैं तो वहीं केरल में विरोधी हैं। अभी ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं है कि इन तीन पार्टियों के बीच का गणित ठीक हो सके।
रोचक बात यह है कि बीते सप्ताह पटना में हुई विपक्षी की बैठक में राहुल गांधी, सीताराम येचुरी और ममता बनर्जी तीनों ही शामिल हुए थे। ये तीनों उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी हिस्सा थे जिसमें विपक्षी एकता का ऐलान किया गया था।