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OROP की तरह पुरानी पेंशन पर भी बड़ा दिल दिखा सकती है मोदी सरकार

आगामी 3 मार्च को देश के अलग—अलग हिस्सों से रिटायर्ड अर्धसैनिक बल और उनसे जुड़े संगठन अपनी मांगों को लेकर जंतर—मंतर पहुंचने वाले हैं. मुख्य रूप से इन रिटायर्ड जवानों की सरकार से मांग है कि पुरानी पेंशन योजना लागू हो. दरअसल, पहले अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन मिलती थी लेकिन 2004 में अटल बिहारी बाजपेयी की एनडीए सरकार ने इस योजना से अर्धसैनिक बलों समेत कई सरकारी सेवाओं के लोगों को बाहर कर दिया. इसके बाद रिटायर्ड अर्धसैनिक बलों के अलग—अलग संगठनों से पुरानी योजना को बहाल करने की मांग की लेकिन बीते कुछ सालों में यह मांग तेज हो गई है.  

क्यों तेज हुई मांग

अर्धसैनिक बलों की यह मांग तब तेज हो गई जब 2015 में सरकार ने वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) योजना की घोषणा की. ओआरओपी योजना सेवानिवृत्त हुए सैनिकों के लिए है.  इसके तहत अलग-अलग समय पर समान अवधि का कार्यकाल पूरा करके सेवानिवृत्त हुए एक ही रैंक के फौजियों को समान पेंशन दिए जाने की बात कही गई.

इस योजना को साल 2016 में लागू किया गया लेकिन यह 2014 से प्रभावी है.  यानी 2014 से यह पेंशन योजना लागू है.  इस योजना का फायदा करीब 30 लाख सैनिकों की विधवाओं और पूर्व सैनिकों को मिलता है.  हालांकि इस योजना के तहत भविष्य में हर पांच साल में पेंशन दोबारा तय होती है.  वहीं जो सैनिक स्वेच्छा से रिटायरमेंट (वीआरएस) लेते हैं उन्हें ओआरओपी नहीं मिलती है.  इसमें युद्ध में घायल होने के कारण रिटायर होने वाले सैनिक शामिल नहीं होंगे.

ओआरओपी पर कितना पड़ा बोझ

रक्षा मंत्रालय की ओर से 2015 में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया.  इस नोटिफिकेशन में बताया गया कि पिछली सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की घोषणा की थी. वर्तमान सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर लिया तथा यह पाया कि इसके लिए वार्षिक अतिरिक्‍त व्‍यय वर्तमान में 8 से 10 हजार करोड़ रुपये होगा जो भविष्‍य में और बढ़ेगा. बीते 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने भाषण में बताया कि वन रैंक, वन पेंशन के तहत सरकार ने अब तक रिटायर्ड सैनिकों को 35 हजार करोड़ रुपये दिए हैं.

अब अर्धसैनिक बलों की बारी!

देश में अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन योजना की मांग अब तेज हो रही है.  सरकार पर दबाव बनाने के लिए रिटायर्ड अर्धसैनिक बल दिल्ली के जंतर—मंतर आ रहे हैं. वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों की ओर से अर्धसैनिक बलों की मांग को समर्थन मिलने लगा है.  कहने का मतलब यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह अहम मुद्दा बन सकता है. ऐसे में यह देखना अहम होगा कि मोदी सरकार रिटायर्ड अर्धसैनिक बलों की मांग पर विचार करती है या नहीं.

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