अन्तर्राष्ट्रीय
PAK की धमकी- भारत को जवाब देने के लिए हमने बना लिए छोटे एटमी हथियार
दस्तक टाइम्स/एजेंसी : वॉशिंगटन. पाकिस्तान ने भारत को फिर धमकी दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ अमेरिकी दौरे पर गए फॉरेन सेक्रेटरी एजाज चौधरी ने कहा है कि हमने भारत को जवाब देने के लिए छोटे एटमी हथियार बना लिए हैं। मंगलवार को वॉशिंगटन में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘भारत के कोल्ड-स्टार्ट डॉक्ट्रिन और हमले के खतरे से निपटने के लिए हमने छोटे एटमी हथियार डेवलप किए हैं।” बता दें कि इससे पहले भी पूर्व प्रेसिडेंट परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ राहिल शरीफ जैसे पाकिस्तान के पॉलिटिकल और मिलिट्री लीडर्स ने भारत को उकसाने वाले बयान दिए हैं।
क्या है ‘कोल्ड स्टार्ट’ डॉक्ट्रिन ?
2001 में संसद पर हमले के बाद इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन ‘पराक्रम’ शुरू किया था। बॉर्डर पर इसके लिए स्पेशल प्लान बनाया गया था। लेकिन इसके बाद 2008 में मुंबई अटैक हो गया।
इसके बाद फ्यूचर में पाकिस्तान की सरजमीं से साजिश के तहत किसी भी तरह का हमला रोकने के लिए इंडियन आर्मी ने नई पॉलिसी अपनाई।
इस ‘कोल्ड स्टार्ट’ पॉलिसी के तहत आर्मी ने ‘स्विफ्ट रिएक्शन’ (तुरंत जवाबी कार्रवाई) की स्ट्रैटजी बनाई।
कहा जाता है कि भारत ने 8 ऐसे इंडिपेंडेंट बैटल ग्रुप रखे हैं जो कि कभी भी रिस्पॉन्स करने की कैपिसिटी रखते हैं। पाकिस्तान के काउन्टर अटैक को रोकने के लिए कुछ घंटे के भीतर ये ग्रुप उसी की जमीन पर कार्रवाई की कैपिसिटी रखते हैं।
इस डॉक्ट्रिन के पीछे एक सोच यह भी थी कि इंडियन आर्मी काफी बड़ी है। ऐसे में अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई हमला होता है तो तुरंत जवाब देने के लिए छोटे ग्रुप्स होने चाहिए। इसके लिए पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए जो जवाबी कार्रवाई के दौरान न तो पाकिस्तान की फौज को तैयार होने का कोई मौका दे, न ही भारत की पॉलिटिकल लीडरशिप को ज्यादा सोचने का वक्त दे।
एजाज ने और क्या कहा?
एजाज ने कहा कि पाकिस्तान भारत की प्रो-एक्टिव स्ट्रैटजी का मुकाबला करने के लिए तैयार है।
भारत के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए हमने एटमी हथियार बनाए हैं।
फिलहाल पाकिस्तान अमेरिका के साथ कोई न्यूक्लियर डील नहीं करने जा रहा है।
पाकिस्तान के परेशान होने की क्या ये हैं तीन वजहें?
पाकिस्तानी आर्मी ने अगस्त के आखिर में अपने मुल्क की पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने कहा था कि उसके लिए देश के बाहर भारत के अलावा कोई और खतरा नहीं है। पाकिस्तानी आर्मी लगातार भारत की हथियारों की खरीददारी से भी परेशान नजर आ रही है।
1. भारत हथियारों की खरीद में सबसे आगे
भारत ने पिछले कुछ सालों में 6,31,700 करोड़ रुपए (100 बिलियन USD) के हथियार खरीदे हैं।
अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, भारत ने 80% हथियार पाकिस्तान कोटारगेट के लिए खरीदे हैं।
पाकिस्तान की मिलिट्री का कहना है कि इंडियन आर्मी ‘खरीददारी की होड़’ में ऐसा कर रही है। बता दें कि भारत आर्म्स इम्पोर्ट के मामले में दुनिया कादूसरा सबसे बड़ा देश है।
2. भारत का डिफेंस बजट भी पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा
पिछले 10 साल में भारत ने अपनी मिलिट्री पर खर्च को भी दोगुना कर दिया है। इस साल भारत ने डिफेंस बजट 2.46 लाख करोड़ रुपए (40.07 बिलियन USD) रखा है।
यह पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा है। पाकिस्तान का डिफेंस बजट 78 हजार करोड़ रुपए है।
भारत के पास नेवी वॉरशिप और टैंक भी पाकिस्तान से करीब-करीब तीन गुना ज्यादा हैं।
3. हर जंग में पाकिस्तान ने भारत से मुंह की खाई
पाकिस्तान ने 1947 के संघर्ष, 1965 और 1971 की जंग और 1999 में कारगिल वॉर में भारत से करारी हार का सामना किया है।
पाकिस्तान जानता हैकि वह जंग में कभी भी भारत से नहीं जीत सकता।
तीन साल पहले पाकिस्तान के पास भारत से 10 न्यूक्लियर बम ज्यादा थे
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट ने मार्च में जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि किन देशों के पास कितने न्यूक्लियर बम हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास 110न्यूक्लियर बम हैं, जबकि भारत के पास 100 बम हैं। हालांकि, ये आंकड़े 2012 के मुताबिक बताए गए थे। तीन साल में हालात कितने बदले हैं, इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं है।
देश | न्यूक्लियर बम |
भारत | 90-100 |
पाकिस्तान | 100-110 |
चीन | 250 |
अमेरिका | 7300 |
रूस | 8000 |
एक अमेरिकी अखबार और किताब में था दावा- 25 साल पहले भारत पर एटमी हमले की फिराक में था पाक!
पूर्व भारतीय डिप्लोमैट राजीव डोगरा की नई किताब में बेनजीर भुट्टो द्वारा परवेज मुशर्रफ को भारत पर हमला करने से रोके जाने का जिक्र है। लेकिन अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्कर’ की एक खबर और थॉमस रीड और डैनी स्टिलमैन की किताब ‘द न्यूक्लियरएक्सप्रेस : ए पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ बॉम्ब एंड इट्स प्रोलिफरेशन’ में इस बात का जिक्र मिलता है कि 25 साल पहले कुछ महीनों के लिए भारत-पाक के बीच न्यूक्लियर वॉर का संकट मंडरा रहा था।
1. कश्मीर में आतंकवाद
1990 में पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड टेररिज्म के कारण कश्मीर जल रहा था।तब पाकिस्तान की पीएम रहीं बेनजीर भुट्टो ने पीओके में बयान दिया था कि कश्मीर की आजादी के लिए हम हिंदुस्तान के साथ 1000 साल तकभी जंग लड़ने को तैयार हैं।
2. भारत का रिएक्शन
बेनजीर के बयान पर तब प्रधानमंत्री रहे वी.पी. सिंह ने लोकसभा में प्रतिक्रिया दी कि जो लोग हमसे जंग लड़ने की बात करते हैं, उनका एक हजार साल तक क्या वजूद भी रहेगा? कुछ ही दिन बाद सिंह ने श्रीगंगानगर में सेना को संबोधित किया। कहा- “हम पाकिस्तान पर मिलिट्री एक्शन के बारे में सोच रहे हैं।”
3. राॅबर्ट गेट्स की सीक्रेट विजिट
भारत-पाक में बढ़ते टेंशन के बीच 21 मई 1990 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश ने अपने नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर रॉबर्ट गेट्स को 2-2 दिन के सीक्रेट भारत-पाकिस्तान दौरे पर भेजा। अमेरिका के इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट सीमोर हर्श ने मार्च 1993में ‘द न्यूयॉर्कर’ में दी खबर में इसका खुलासा किया। हर्श के मुताबिक, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के अलावा राजस्थान सीमा पर भी आर्मी की तैनाती बढ़ा दी तो पाकिस्तान हड़बड़ा गया। वह भारत पर न्यूक्लियर अटैक की सोचने लगा।
4. क्या चीन ने पाकिस्तान के लिए किया था न्यूक्लियर टेस्ट?
भारत तो इंदिरा गांधी के समय एक बार न्यूक्लियर टेस्ट कर चुका था। लेकिन 1990 से पहले अमेरिका को इस पर यकीन नहीं था कि पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर बम हैं। लेकिन अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि वह चीन की मदद से एटमी बमबना सकता है। 1990 के संकट के बाद थॉमस रीड और डैनी स्टिलमैन ने अपनी किताब ‘द न्यूक्लियर एक्सप्रेस : ए पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ बॉम्ब एंड इट्स प्रोलिफरेशन’ में एक और खुलासा किया। किताब में लिखा गया कि चीन ने गेट्स के दौरे से पहलेपाकिस्तान के लिए अपने रेगिस्तानी इलाके लॉप नोर में न्यूक्लियर टेस्ट किया था। गेट्स चीन पर दबाव बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पाकिस्तान की यात्रा की थी। इसी दबाव के चलते पाकिस्तान ने भी अमेरिका से वादा किया कि वह चीन से न्यूक्लियर बमनहीं लेगा। बुश ने बाद में पाकिस्तान को सारी मदद रोक दी। हालांकि, 1998 में भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना न्यूक्लियर टेस्ट किया था।