पाकिस्तान बार काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट से की न्यायिक आयोग के गठन की मांग
इस्लामाबाद: पाकिस्तान बार काउंसिल (PBC) ने न्यायिक मामलों में शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों के कथित हस्तक्षेप की शिकायतों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों वाले एक न्यायिक आयोग की मांग की है। पीबीसी ने शुक्रवार को कहा कि सच्चाई का पता लगाने के लिए निष्पक्ष जांच को लेकर न्यायिक आयोग का गठन आवश्यक है। PBC ने यह मांग ऐसे वक्त की है जब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA ) के पूर्व अध्यक्ष आबिद शाहिद जुबेरी ने भी इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई में एक पक्षकार बनाए जाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
PBC की बैठक में पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज ईसा और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक के इस्तीफे की मांग के मुद्दे का भी जिक्र करते हुए उनके खिलाफ सोशल मीडिया अभियान की निंदा की। पीबीसी के उपाध्यक्ष रियाजत अली सहर ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मंजूर एक प्रस्ताव में पीबीसी ने कहा कि न्यायाधीशों को निशाना बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसी मांग उन लोगों के हाथों को मजबूत करने के समान है जो न्यायपालिका में विभाजन चाहते थे। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों द्वारा शीर्ष न्यायिक परिषद (एसजेसी) को 25 मार्च को लिखे गए पत्र के मद्देनजर न्यायिक मामलों में खुफिया एजेंसियों के कथित हस्तक्षेप के मुद्दे पर बैठक में विस्तार से चर्चा हुई।
सरकार ने आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश तसद्दुक जिलानी वाले एक सदस्यीय आयोग का गठन किया, लेकिन उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया। बाद में उच्चतम न्यायालय के सात न्यायाधीशों पीठ ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया। प्रधान न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई के लिए पूर्ण-अदालत पीठ की स्थापना का संकेत दिया। अपने प्रस्ताव में, PBC ने उच्चतम न्यायालय से वर्तमान स्वत: संज्ञान मामले पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायाधीशों को देश में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त है, वे मामलों पर निर्णय देने और फैसले पर पहुंचने से पहले आरोपों पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं।
प्रस्ताव के अनुसार, न्यायाधीश कानूनी प्रणाली की नींव, स्वतंत्रता और निष्पक्षता का प्रतीक हैं, जो बाहरी नैतिक, आंतरिक या बाहरी प्रभावों से बेदाग न्याय प्रदान करने के लिए राजनीतिक या बाहरी दबावों से मुक्त हैं। पीबीसी ने कहा कि न्यायाधीशों द्वारा लिखित पत्र के माध्यम से चिंता व्यक्त करना पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के स्वतंत्र कामकाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण और चिंता का क्षण है। पीबीसी ने कहा कि कानून, संविधान और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए आरोपों की व्यापक जांच ‘‘न केवल उचित बल्कि आवश्यक” है।