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पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक, 2003 से अब तक 93 की हुईं हत्याएं

इस्लामाबाद : पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक बना हुआ है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत (India) उन देशों की सूची में 5वें स्थान पर है जहां प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में 2003 से अब तक 93 पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं।

पाक मीडिया में कहा गया है कि पाकिस्तान की यह स्थिति देश के नेताओं के लिए अपमान का क्षण है। साथ ही यह पाकिस्तान के कमजोर लोकतंत्र का सबूत है। पाकिस्तान उन देशों की सूची में आता है जहां कोई युद्ध नहीं चल रहा है, फिर भी देश में पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में आतंकवादियों, विद्रोहियों और राज्य समर्थित लोगों के द्वारा पत्रकारों की हत्याएं की गईं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन हत्याओं में सामान्य बात यह है कि हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़ित परिवार इंसाफ के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

पत्रकार अरशद शरीफ की मौत का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्या में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी हत्या दिल को झकझोर देने वाली सच्चाई दिखाती है कि पाकिस्तानी पत्रकार और असंतुष्ट देश के बाहर भी खतरों से सुरक्षित नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 23 अक्टूबर 2022 को केन्या के नैरोबी शहर में अरशद शरीफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शरीफ की मौत ने मानवाधिकार संगठनों, मीडिया बिरादरी और नागरिक समाज को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने मामले की जांच की मांग की।

रिपोर्ट के अनुसार, 5 जनवरी को पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश (CJP) उमर अता बंदियाल के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अरशद शरीफ की हत्या पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की। सुनवाई से पहले इस्लामाबाद पुलिस ने संयुक्त जांच दल की प्रगति रिपोर्ट अदालत और न्यायाधीशों के कक्ष में पेश की। इससे पहले की सुनवाई में पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश ने मामले के बारे में तथ्यों का खुलासा करने के लिए फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट की प्रशंसा की थी, जिसमें संघीय जांच एजेंसी (FIA) और खुफिया ब्यूरो (IB) के दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, अरशद शरीफ की हत्या सुनियोजित और लक्षित थी, जो अंतरराष्ट्रीय शूटरों द्वारा कराई गई। यह गलत पहचान का मामला नहीं था, जैसा कि केन्या पुलिस ने दावा किया था। इस बीच, अरशद शरीफ की पत्नी सामिया अरशद ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त जांच दल (JIT) के सदस्यों के खिलाफ आपत्ति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जेआईटी के दो सदस्य मामले में आरोपी के साथ काम कर चुके हैं। इसलिए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

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