पाकिस्तान की रेटिंग घटकर हुई CCC-, लोन मिलना होगा मुश्किल; और क्या संकट
नई दिल्ली : पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिन प्रतिदिन खराब ही होते जा रहे हैं। यूं कहें तो भारत को पड़ोसी देश कंगाली की कगार पर खड़ा है। इस बीच फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को पाकिस्तान की लॉन्ग-टर्म फॉरेन-करेंसी इश्यूअर डिफॉल्ट रेटिंग (IDR) को CCC+ से घटाकर CCC- करने की घोषणा की है। इसके बाद अब पाकिस्तान को लोन मिलना भी मुश्किल हो गया है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा के बाद हमने यह फैसला किया है। एजेंसी का यह भी कहना है कि पाकिस्तान में इन दिनों फंडिंग के बड़े जोखिम हैं। इस साल वहां चुनाव भी होने वाले हैं।
वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में पाकिस्तान का सीएडी 3.7 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2021 की इसी अवधि में 9 अरब डॉलर था। फिच ने वित्त वर्ष 2022 में $17 बिलियन (जीडीपी का 4.6%) के बाद वित्त वर्ष 23 में $4.7 बिलियन (जीडीपी का 1.5%) के घाटे का अनुमान लगाया है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि आर्थिक मंदी, महंगाई और पिछले साल बाढ़ से हुई तबाही के बीच आईएमएफ की स्थितियां सामाजिक और राजनीतिक रूप से कठिन साबित होने की संभावना है। अक्टूबर 2023 तक पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहले आईएमएफ वार्ता सहित राष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निमंत्रण को अस्वीकार किया था।
वहीं, विदेशों में बसे पाकिस्तानी प्रवासी लोगों और कामगारों की ओर से घर भेजे जाने वाले धन की दर में 9.9 प्रतिशत की कमी आई है। ये आंकड़े स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी की गई है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में पाकिस्तानी प्रवासी लोगों और कामगारों की ओर से घर भेजे जाने वाले धन की दर में 9.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के जुलाई-22 से जनवरी-23 तक के पहले सात महीनों के दौरान 16 अरब डॉलर का संचयी प्रवाह हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में भेजे गये धन में 11 प्रतिशत कम रहा।
गौरतलब है कि प्रवासी लोगों और कामगारों की ओर से भेजा गया धन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे विदेशी मुद्रा के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।