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पानी की मार से कांपा पाकिस्तान, भारत की चाल ने बढ़ाई बेचैनी, सेंट्रल पंजाब में मची त्राहि-त्राहि

नई दिल्ली। भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द करने के बाद अब इसका असर पाकिस्तान पर दिखने लगा है। इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी ने चिनाब नदी में जल प्रवाह में भारी उतार-चढ़ाव को गंभीर चिंता का विषय बताया है। IRSA का कहना है कि इसका सीधा असर पाकिस्तान के सेंट्रल पंजाब के चावल क्षेत्र और महत्वपूर्ण मंगला डैम के जल भंडारण पर पड़ रहा है।

चिनाब में अचानक गिरा जलस्तर

IRSA के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने मीडिया को बताया भारत द्वारा चिनाब के जल प्रवाह में कमी से न केवल खरीफ फसलों विशेष रूप से चावल पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि मंगला डैम के जल भंडारण पर भी असर पड़ सकता है।

राणा ने स्थिति की गंभीरता बताते हुए कहा कि पाकिस्तान कमीशनर फॉर इंडस वाटर्स (PCIW) को हर घंटे जल प्रवाह का डेटा मिलता है जबकि IRSA को औसत (मीन) डेटा मिलता है। उनके अनुसार चिनाब नदी में 29 मई को औसत जल प्रवाह 69,100 क्यूसेक था जो 30 मई को 78,000 क्यूसेक हुआ लेकिन 31 मई को अचानक गिरकर 22,700 क्यूसेक रह गया। यह गिरावट बेहद चिंताजनक है।

मंगला डैम और खाद्य सुरक्षा को खतरा

राणा ने चेतावनी दी चिनाब में जल प्रवाह का यह उतार-चढ़ाव बहुत गंभीर है। सेंट्रल पंजाब के चावल क्षेत्र की सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए IRSA ने मंगला जलाशय से जल प्रवाह को 10,000 क्यूसेक से बढ़ाकर 25,000 क्यूसेक कर दिया है। उन्होंने आगे कहा, हालांकि अगर यही स्थिति बनी रही तो मंगला डैम का जल भंडारण गंभीर रूप से प्रभावित होगा। राणा ने यह भी बताया कि IRSA झेलम नदी की जल विज्ञान स्थिति के अनुसार मंगला डैम में पानी का भंडारण कर रहा है और 30 जून तक बांध को 80 प्रतिशत तक भरना अनिवार्य है लेकिन चिनाब की स्थिति इसे मुश्किल बना सकती है।

पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर असर

राणा ने जोर देकर कहा, भारत द्वारा चिनाब के जल प्रवाह को कम-ज्यादा करने से सेंट्रल पंजाब के चावल क्षेत्र को खतरे में डाल दिया है और यह मंगला बांध के भराव को भी प्रभावित करेगा। यह स्थिति पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है क्योंकि चिनाब नदी पंजाब के विशाल कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

IRSA ने भारत से सिंधु जल संधि के तहत जल साझा करने की अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करने की अपील की है। यदि जल प्रवाह में कमी जारी रही तो चावल के साथ-साथ कपास, मक्का और गन्ने जैसी अन्य खरीफ फसलों पर भी असर पड़ सकता है जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस जल संकट का पाकिस्तान की कृषि और समग्र अर्थव्यवस्था पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।

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