देहरादून (गौरव ममगाईं)। आईएएस-आईपीएस व पीसीएस, केंद्र व राज्य सिविल सेवा के सबसे शीर्ष पद हैं और सबसे प्रतिष्ठित भी। यही वजह है कि युवाओं का सपना होता है कि वो बड़े होकर आईएएस-आईपीएस या पीसीएस बनें और देश व राज्य की सेवा कर सकें। उत्तराखंड के ऐसे युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि धामी सरकार मेधावी युवाओं का सपना साकार करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फैसला लिया है कि मेधावियों के मार्ग में आर्थिक समस्या बाधा बनने नहीं दी जायेगी। इसके लिए सीएम धामी अभ्यर्थियों को प्री-परीक्षा पास करने पर पहले 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद दे रहे थे, अब इसे दोगुना यानी 1 लाख रुपये किया जायेगा। इस आर्थिक राशि का उपयोग अभ्यर्थी मेंस परीक्षा की तैयारी के लिए आवश्यक कोचिंग व गाइडेंस प्राप्त कर सकेंगे। हाल ही में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल चुकी है। अब इसके जल्द शासनादेश जारी होने की उम्मीद है, जिसके बाद अभ्यर्थियों को लाभ मिलना शुरू जायेगा।
क्या होता है सिविल सर्विसेज परीक्षाओं का पैटर्न ?
दरअसल, सिविल सर्विसेज परीक्षा तीन चरणों में होती हैं, जिनमें पहला चरण प्रारंभिक परीक्षा होता है। इसमें आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं। यह परीक्षा ऑब्जेक्टिव टाइप होती है, यानी चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर टिक करना होता है। इसमें मैरिट के आधार पर पदों के सापेक्ष कई गुना अभ्यर्थियों को मेंस परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया जाता है। दूसरे चरण में मेंस परीक्षा होती है, जिसमें 6 से 7 विषयों की अलग-अलग लिखित परीक्षा होती है। मेंस परीक्षा में क्वालीफाई करने वालों को तीसरे व अंतिम चरण यानी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। फाइनल सेलेक्शन के लिए मेंस व इंटरव्यू के अंकों को मिलाकर मैरिट तैयारी की जाती है।
सीएम धामी पहले सीएम, जिनकी प्राथमिकता में है सरकारी भर्तीः
दरअसल, उत्तराखंड में शुरु से ही यूपीएससी व यूकेपीएससी की सिविल सर्विसेज के प्रति उत्साह बेहद कम नजर आता रहा है। इसका कारण ये भी रहा कि यहां राज्य गठन के बाद से ही पीसीएस भर्ती 5 से 6 सालों में निकलती रही हैं। इसलिए अभ्यर्थी ग्रुप-सी की भर्तियों की ही तैयारी करते हैं, क्योंकि ये भर्तियां हर साल निकलती रहती हैं।
मगर, मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त नकलरोधी कानून-2023 लागू करने कर सरकारी भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी व जवाबदेह बनाने के बाद अब दूसरा बड़ा कदम उठाया है। सीएम धामी अब मेधावी अभ्यर्थियों को सिविल सर्विसेज के रूप में बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ऐसी पहल अभी तक किसी सरकार की ओर से देखने को नहीं मिली। जाहिर है कि सीएम धामी के इस फैसले से गरीब परिवारों के मेधावी अभ्यर्थी भी सिविल सर्विसेज के शीर्ष पद पर आसीन होने का सपना न सिर्फ देखेंगे, बल्कि उसे साकार भी कर सकेंगे। बता दें कि सिविल सर्विसेज में तीन चरणों में परीक्षाएं होने के कारण गरीब परिवार के बच्चे इससे दूरी बनाते हैं, क्योंकि वे कोचिंग लेने में सक्षम नहीं होते।