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साल के पहले सूर्य ग्रहण पर इन बातों का रखें खास ध्यान

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में चंद्र और सूर्य दोनों ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है. साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को चैत्र मास की अमावस्या पर लगने जा रहा है. चैत्र मास की अमावस्या जो नवरात्र से पहले आती है, उस दिन सूर्य ग्रहण लग रहा है. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण अमेरिका में दिखाई देगा. लेकिन भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा. इसलिए साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा और न ही सूतक काल माना जाएगा. अगर भारत में ग्रहण दिखाई देता है, तो उसका सूतक काल माना जाता है.

इस साल का पहला सूर्य ग्रहण मेक्सिको में स्काईवॉचर्स सबसे पहले देख सकेंगे. इसके बाद ये उत्तर की ओर बढ़ेगा. टेक्सास के रास्ते अमेरिका में प्रवेश करेगा फिर कनाडा होते हुए उत्तर-पूर्व की ओर जाकर खत्म होगा. यह सूर्यग्रहण पश्चिम यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तर दक्षिण अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक, आर्कटिक में दिखाई देगा. लेकिन भारत और पड़ोसी देशों में साल पहला सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई नहीं देगा.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक काल का भी खास ध्यान रखना होता है. ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे या 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है, जिसमें सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पहलो शुरू हो जाता है. सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय माना जाता है. इसलिए सूतक काल में भी कोई मांगलिक या शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

सूर्य ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने की मनाही होती है और न ही सूर्य ग्रहण को कभी भी डायरेक्ट आंखों से देखना चाहिए.
ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है, खासकर कि खाना तक नहीं बनाना चाहिए.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं घर से बाहर बिल्कुल भी न निकलें और ग्रहण के समय सुई में धागा नहीं डालें.
सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ काटना, छीलना, कुछ छौंकना या बघारना अशुभ माना जाता है.
ग्रहण के समय मंदिर में मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही पूजा करनी चाहिए. क्योंकि ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
ग्रहण के समय सूर्यदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का तेज आवाज में उच्चारण करना अच्छा होता है.
जानें कैसे है खगोलीय घटना
सूर्य ग्रहण वह खगोलीय घटना होती है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है. इसके चलते सूर्य कुछ समय के लिए चंद्रमा के पीछे छिप जाता है. सूर्य ढक जाने से दिखता नहीं और धरती पर अंधेरा छा जाता है. इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है. यह घटना हमेशा अमावस्या के दिन ही होती है. दूसरी ओर, चंद्र ग्रहण की घटना पूर्णिमा की रात में घटती है. इसमें पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में चंद्रमा छिप जाता है. यह दोनों ही खगोलीय घटना कभी आंशिक और कभी पूर्ण रूप से होती है.

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