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फ्लोटिंग रेट्स पर होगा भुगतान, कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव

भोपाल: पिछले छह महीनें में लोहा, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री के दामों में इजाफा होने के कारण सरकारी निर्माण कार्यो के ठेके लेने वाले ठेकेदार नुकसान के चलते सरकारी ठेके लेने आगे नहीं आ रहे है और कई तो ठेके बीच में छोड़ रहे है। इसलिए अब राज्य सरकार प्रक्रियाओं में ऐसा बदलाव करने जा रही है कि सरकारी पुल, पुलिया, भवन और अन्य निर्माण कार्यों में सामग्री को महंगाई से जोड़ने जा रही है। याने निविदा स्वीकृति के बाद काम करने के लिए तय समयसीमा में जब भी सामग्री की खरीदी की जाएगी उसे उस समय सामग्री की कीमत के हिसाब से वास्तवित खर्च का भुगतान किया जाएगा। मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव लागू किया जाएगा।

भवन और अन्य निर्माण कार्यों में कुल लागत में 25 फीसदी हिस्सेदारी स्टील की होती है। पिछले छह महीने में निर्माण कार्यों में उपयोग होेंने वाले स्टील की 37.31 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं लागत में 22 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली सीमेंट के दामों में भी 23 प्रतिशत इजाफा हुआ है। एएसी ब्लॉक 21 .28 फीसदी, टाईल्स और फ्लोरिंग सामग्री में 19.98 प्रतिशत तथा अन्य सामग्री में 25 फीसदी वृद्धि हुई है। सितंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच स्टील साठ रुपए से बढ़कर 86 रुपए प्रति किलो हो गया है। सीमेंट 222 रुपए से बढ़कर 303 रुपए हो गई है। इसी तरह अन्य सामग्री के दामों में भी इजाफा हुआ है। इसके कारण निविदा स्वीकृति के समय के दाम और काम करने के समय लगने वाली लागत में इजाफा होंने से ठेकेदार काम नहीं कर रहे है। प्रदेशभर में बड़े बड़े विकास कार्य इसके कारण प्रभावित हो रहे है। बांध, पुल, पुलिया, भवन निर्माण के काम अटक गए है।

देरी से बढ़ जाती है लागत
सरकारी कामों के ठेके में निविदा दरों में वेरिएश तथा स्वीकृति के स्तर पर हुई पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति के संबंध में सामान्यत: डीपीआर का निर्माण प्रचलित एसओआर दरों पर किया जाता है। इसकी प्रशासकीय मंजूरी और निविदा प्रक्रिया पूरी करे में छह माह से अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में छह माह में हुई मूल्य वृद्धि के कारण निविदा दरें अधिक मिल रही है। मूल प्रशासकीय मंजूरी से दस प्रतिशत की सीमा के बाहर होेंने के कारण निविदा मंजूरी में भी दिक्कत होती है। निविदा प्रपत्र के अनुसार अनुबंध की अवधि में दी जाने वाली मूल्य वृद्धि की गणना के लिए आधार दरें निविदा की अंतिम तिथि के 28 दिस पूर्व के भारत सरकार द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक को माना जाता है।

सामग्री के वास्तविक मूल्य बनेंगे आधार
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मूल्य वास्तविक रुप से हुई वृद्धि की भरपाई नहीं करते। इसलिए सीमेंट, स्टील, पेट्रोल-डीजल, लेबर की दरों में वृद्धि के प्रावधान में थोक मूल्य सूचकांक की जगह इन सामग्रियों के वास्तविक बाजार मूल्य , कार्य समाप्त करेन के समय को स्टार रेट फार्मूले के आधार पर शामिल करने के लिए निविदा प्रपत्रों में रखा जाएगा।

ई-टेंडरिंग में निविदा धरोहर राशि बैंक गारंटी, एफडी के जरिए
ई टेंडरिंग मॉडल में निविदा धरोहर राशि आॅनलाईन आरटीजीएस फंड के जरिए ट्रांसफर करना होता है। इससे अनावश्यक राशि जाम हो जाती है। इसकी जगह अब बैंक गारंटी या फिक्सड डिपाजिट के माध्यम से गारंटी दी जाएगी। वहीं निविदा खोलने के बाद जो न्यूनतम राशि पर टेंडर स्वीकृत हुआ है उसको छोड़कर शेष सभी ठेकेदारों की धरोहर राशि तत्काल बिना आवेदन वापस की जाएगी।

10 करोड़ से नीचे के ठेके भी दायरे में
अभी तक दस करोड़ से अधिक की परियोजनाओं पर ही मूल्य वृद्धि की पात्रता है। अब छह माह में हुई मूल्य वृद्धि का आंकलन कर इसे सभी प्रकार के ठेकों में लागू करने का प्रस्ताव है।

पैनाल्टी, टैक्स वृद्धि से भी राहत
निर्माण कार्यो की निविदाएं भरने वाले ठेकेदारों को स्वीकृति के बाद कानून में बदलाव, टैक्स, शासकीय शुल्क में परिवर्तन होेंने पर स्वीकृति के समय लागू दरों का लाभ देने का प्रस्ताव है। इसी तरह मोबलाइेशन एडवांस के तहत गारंटी में जमा राशि की सीमा तक एडवांस राशि ठेकेदार को दी जाएगी और बाद में उसे ठेका राशि में से समायोजित किया जाएगा। इसी तरह समयसीमा में देरी के कारण ईएमडी और पीजी राजसात करे के निर्णय से भी छूट दिए जाने की तैयारी है। सभी नई परियोजनाओं में तीन माह तक बिपा शर्त बिना दंड मूल्य वृद्धि हेतु दिए जाने का प्रस्ताव है।

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