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समाप्त हो सकता है किसान आंदोलन, सरकार और किसानों के बीच लगभग बनी सहमति

नई दिल्ली: पिछले 15 महीने से किसानों का चल रहा आंदोलन सरकार के उनकी मांगों पर हामी भरने के साथ ही लगभग समाप्ति की ओर है। सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को किसान संगठनों की बैठक में सरकार की ओर से मिले प्रस्ताव पर चर्चा हुई। कुछ मुद्दों पर विचार के लिए बुधवार को दो बजे किसान संगठन फिर चर्चा करेंगे ।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के मुताबिक केंद्र सरकार किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी और पुलिस केस वापस लेने पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार हो गई है। ऐसे में सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का मतलब है कि किसान आंदोलन अब समाप्त होने जा रहा है।

किसान नेताओं के का कहना है कि केंद्र सरकार एमएसपी के मामले में फैसले के लिए एक समिति का गठन करेगी। समिति में अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस पर किसान नेताओं का कहना है कि सरकार का समर्थन कर रहे किसान संगठनों में बैठक में शामिल न किया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से एक पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया गया। इसमें बताया गया कि केंद्र सरकार किसानों पर लगे सभी तरह के आरोपों को खत्म करने के लिए भी तैयार हो गई है। इसमें पराली जलाने और सुरक्षा बलों के साथ हिंसक झड़प से जुड़े मामले शामिल हैं। किसान सरकार की ओर से मिले आश्वासन से खुश हैं, लेकिन वह बात केवल इस बात पर अटकी हुई है कि केंद्र सरकार किसानों के खिलाफ लगे मामलों को आंदोलन समाप्ति के बाद ही हटाना चाहती है। वहीं किसान चाहते हैं कि पहले मामले समाप्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए।

किसान नेता ने कहा कि सरकार का प्रस्ताव कहता है कि जब हम आंदोलन समाप्त करेंगे, तभी वे (किसानों के खिलाफ) मामले वापस लेंगे। हम इसके बारे में आशंकित हैं। सरकार को तुरंत (मामलों की वापसी) प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। कल की बैठक में दोपहर 2 बजे अंतिम फैसला लिया जाएगा।

किसान नेताओं ने बताया कि मसले पर भी केंद्र सरकार किसानों को आश्वस्त कर चुकी है कि पंजाब की तरह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें भी अपने यहां मुआवजा देगी। भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चारुनी ने कहा कि 700 से अधिक मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे के लिए, हम चाहते हैं कि केंद्र पंजाब मॉडल का पालन करे। 5 लाख रुपये मुआवजा और पंजाब सरकार द्वारा घोषित नौकरी को भारत सरकार द्वारा भी लागू किया जाना चाहिए।

इसी बीच किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वे हमारी मांगों पर सहमत होंगे और हमें विरोध समाप्त कर देना चाहिए लेकिन प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। हमारी अपनी चिंतायें हैं जिस पर कल दोपहर 2 बजे चर्चा होगी। हमारा आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है, यहीं रहेगा।

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