छत्तीसगढ़राज्य

प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण से लोगों को मिली राहत

रायपुर : अविभाजित मध्यप्रदेश के समय छत्तीसगढ़ अंचल में रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा जिले ही अस्तित्व में थे। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दो साल पहले वर्ष 1998 को बिलासपुर तथा राजनांदगांव जिले के कुछ हिस्से को अलग कर कबीरधाम जिला बनाया गया। बिलासपुर जिले के कुछ हिस्से को तोड़कर कोरबा जिला भी बनाया गया। इसी तरह रायपुर जिले से अलग होकर महासमुंद और धमतरी को नए जिले का दर्जा मिला। बस्तर जिले से कांकेर और दंतेवाड़ा तथा सरगुजा जिले से कोरिया और जशपुर को तत्कालीन सरकार द्वारा नया जिला बनाया गया।

1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। उस समय प्रदेश में मात्र 16 जिले बस्तर, कांकेर, दंतेवाड़ा, रायपुर, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, सरगुजा, कोरिया और जशपुर ही था। वर्ष 2007 में जिला बस्तर से नारायणपुर जिला और दंतेवाड़ा से पृथक बीजापुर जिला बनाया गया। इस तरह 16 से बढ़कर 18 जिले वाला छत्तीसगढ़ राज्य कहलाया।

वर्ष 2012 में 9 जिलों का और गठन किया गया। इसमें बस्तर के कुछ भाग को जोड़ते हुए कोंडागांव और दंतेवाड़ा जिले के कुछ भाग को अलग कर सुकमा जिला बनाया गया। इसी तरह रायपुर जिले में आने वाले बलौदाबाजार-भाटापारा एवं गरियाबंद को दो स्वतंत्र जिला बनाया गया। बिलासपुर जिले के अंतर्गत मुंगेली को जिला बनाया गया। दुर्ग जिले से बालोद व बेमेतरा को भी नए जिले का दर्जा मिला। सरगुजा जिले से बलरामपुर-रामानुजगंज एवं सूरजपुर को जिला बनाया गया। इस तरह प्रदेश में जिलों की संख्या 18 से बढ़कर 27 हो गई।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासनिक विकेंद्रीकरण करते हुए आम लोगों को जो राहत दी है वह काबिल-ए-तारीफ है। मुख्यमंत्री बने महज 14 माह ही हुए थे कि अंचल की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए ‘गौरेला-पेंड्रा-मरवाहीझ् को फरवरी 2020 में जिला बनाकर एक इतिहास रच दिया। इस तरह जीपीएम (गौरेला-पेंड्रा-मरवाही) जिले बनने से करीब साढ़े तीन लाख लोगों को शासन-प्रशासन की विभिन्न योजनाओं, कार्यों, जरूरतों को पूरा करने के लिए समय की बचत, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिला।

सामान्य भाषा में विकेन्द्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केन्द्रित करने की बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाए ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरूप शासन-संचालन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। यही सत्ता विकेन्द्रीकरण का मूल आधार है। अर्थात् आम जनता तक शासन-सत्ता की पहुंच को सुलभ बनाना ही विकेन्द्रीकरण है। इस तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण को और तवज्जो देते हुए गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही के अलावा मोहला-मानपुर-चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर तथा सक्ती को नए जिले बनाकर क्षेत्रवासियों को एक महत्वपूर्ण सौगात दी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महज पौने चार वर्षों में 6 नए जिलों का निर्माण किया है। इन जिलों के गठन के पीछे उनकी सोच यह रही कि इस अंचल में निवासरत आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा पिछड़े वर्गों का सर्वांगीण विकास हो। साथ ही इस अंचल का सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक विकास हो। खनिज संसाधनों सहित सरकार की योजनाओं का लाभ भी लोगों को भरपूर मिल सके। सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, राशन दुकान जैसी अधोसंरचनाओं के साथ बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार भी आसानी से मिल सके। निश्चय ही इन जिलों के निर्माण से विकास की रफ्तार तेजी पकड़ेगी और आम लोगों के विश्वास को बरकरार रखते हुए शासन-प्रशासन तेजी से जनहितकारी काम भी करेगा।

Related Articles

Back to top button