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मणिपुर के लोग अफ्सपा हटाने के पक्ष में- सीएम बीरेन : video

(दस्तक ब्यूरो) :  23 जनवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक बार फिर कहा है  कि वह राज्य से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) हटाए जाने के पक्ष में हैं। लेकिन अपनी टिप्पणी में सर्तकता बरतते हुए उन्होंने यह भी कहा कि  राष्ट्रीय सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है, इसलिए वे इस कानून को केंद्र के साथ सहयोग कर कानून हटवाना चाहते हैं।

दरअसल , मणिपुर में फरवरी , 2022 में ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और मणिपुर के मुख्यमंत्री  बीरेन सिंह राज्य में भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री हैं। बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य में आगामी चुनाव बड़े बदलाव को प्रदर्शित करेंगे और उनकी पार्टी अपनी सीटों की संख्या दोगुनी करेगी। 

सीएम बीरेन सिंह ने यह भी कहा है कि ,  ‘‘मेरा मानना है कि अफ्सपा को केंद्र की सहमति से चरणबद्ध तरीके से हटाया जा सकता है। लेकिन, हमें यह जरूर याद रखना चाहिए कि म्यांमार में राजनीतिक स्थिरता नहीं है और उसके साथ हमारे देश की सीमा भी लगी हुई है।’’ 

यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि कुछ ही समय पहले  मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा था कि अफ्सपा का उन्मूलन किया जाना चाहिए। जब उन्होंने यह बात कही थी  तब  नागालैंड में आम नागरिकों की जान जाने के बाद असम राइफल्स की कथित भूमिका को लेकर यह मांग और तेज हुई थी।

 सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को  उत्तर पूर्वी भारत के उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों  में सेना को कार्यवाही में मदद देने के लिए 11 सितंबर 1958 को भारतीय संसद में  पारित किया गया था। वहीं, जब 1989 के आस पास जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इस कानून को यहां भी लगा दिया गया था। 

1958 के मूल अधिनियम में कहा गया है कि आंतरिक उपद्रव की स्थिति में एक राज्य का राज्यपाल , एक संघ शासित प्रदेश का प्रशासक या केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के किसी क्षेत्र में अफ्सपा लगा सकती है। इंद्रजीत बरुआ बनाम असम राज्य के मामले में 1983 में सर्वोच्च न्यायालय ने तय किया था कि राज्यपाल पूर्वोत्तर के किसी राज्य के किसी क्षेत्र को उपद्रवग्रस्त क्षेत्र घोषित करने के लिए सशक्त है। 

किसी भी राज्य या किसी भी क्षेत्र में यह कानून तभी लागू किया जाता है, जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट  घोषित कर देती है। अफ्सपा केवल उन्हीं क्षेत्रों में लगाया जाता है, जो कि अशांत क्षेत्र घोषित किए गए हों। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं। कानून के लगते ही सेना या सशस्त्र बल को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार आ जाता है।

अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरूरी है कि क्या एक क्षेत्र “डिस्टर्ब” है या नहीं। अगर ऐसा नही है तो राज्यपाल या केंद्र इसे खारिज कर सकता है।  (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार “डिस्टर्ब” क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है। अफ्सपा को राज्य सरकारों की सिफारिश के बाद ही केंद्र सरकार द्वारा हटाया या खत्म किया जा सकता है।

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