जबलपुर : एमपीआरआरडीए के महाप्रबंधक को जबलपुर हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने विभागीय जांच के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि डीपीआर की स्वीकृति में उनके हस्ताक्षर हैं। न्यायालय को विभागीय जांच और कार्रवाई में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है। याचिकाकर्ता अजय सिंह रघुवंशी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उनकी मूल पदस्थापना मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में कार्यपालन यंत्री के रूप में थी। उन्हें साल 2008 में डेप्युटेशन पर एमपीआरआरडीए में महाप्रबंधक के पद पर पदस्थ किया गया था।
सिवनी जिले में बरबरपुर-सोनवारा मार्ग में स्थित वैनगंगा नदी में पुल बनाने के लिए डीपीआर तैयार किया गया था, जिसे बाद में संशोधित किया गया। सिवनी जिले में पीआईयू 2 में महाप्रबंधक पद पर पदस्थ होने के कारण साल 2018 में पेश की गई डीपीआर स्वीकृति में उनके भी हस्ताक्षर थे। नदी में बना पुल साल 2020 में अत्यधिक बारिश होने के कारण बह गया था।
पुल बहने की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। जांच कमेटी ने पाया कि 20 किलोमीटर दूर स्थित संजय सरोवर से पानी छोड़ने पर जल ग्रहण क्षेत्र की गणना गलत तरीके से की गई थी। बांध से पानी छोड़ने पर जलस्तर पुल के ऊपर पहुंच गया था, जिसके कारण पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। जांच कमेटी ने डीपीआर तैयार करने वाले सलाहकार, पर्यवेक्षण सलाहकार, महाप्रबंधक जबलपुर तथा महाप्रबंधक सिवनी को दोषी माना था।