गलत बयानी व तथ्य छिपाने पर पांच लाख हर्जाने के साथ याचिका खारिज
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट में गलत बयानी कर तथ्य छिपाकर आदेश पाने की कोशिश भारी पड़ी है। कोर्ट ने ऐसी याचिका को 5 लाख रूपये हर्जाना लगाते हुए खारिज कर दिया है।
न्याय मांगने स्वच्छ हृदय के साथ आना चाहिए : कोर्ट
कोर्ट ने कहा है कि याची को कोर्ट में न्याय मांगने स्वच्छ हृदय के साथ आना चाहिए। कोर्ट ने याची को जानबूझकर तथ्य छिपाने का दोषी माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी तथा न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने मऊ के माफिया उमेश सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अपर शासकीय अधिवक्ता दीपक मिश्र ने प्रतिवाद किया।
300 टन कोयला सहित संपत्ति जब्त कर ली
मालूम हो कि जिलाधिकारी मऊ ने 21 अक्टूबर 20 व 29 अक्टूबर 20 के आदेश से याची के खिलाफ गिरोहबंद अधिनियम के तहत कार्यवाई करते हुए 300 टन कोयला सहित संपत्ति जब्त कर ली। जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गई कि उसके खिलाफ केवल एक ही आपराधिक केस होने पर गिरोहबंद अधिनियम के तहत कार्यवाई की गयी है। उसे झूठा फंसाया गया है। डीएम के आदेशों को रद्द किया जाय।
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आपराधिक केसों का खुलासा किया गया
एजीए की आपत्ति पर पूरक हलफनामे मे अन्य आपराधिक केसों का खुलासा किया गया। एजीए का कहना था कि याची ने जानबूझकर झूठ बोला है। जबकि उसका आपराधिक इतिहास है। हत्या षडयंत्र जैसे गंभीर अपराध में जेल भी जा चुका है और स्वयं को निर्दोष बता कर विक्टिम कार्ड खेल रहा है। कोर्ट ने कहा कि याची ने जानबूझकर एक केस में झूठा फंसाने का बयान दिया और याचिका में सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया। ऐसे में दंडित होना जरूरी है।
कोर्ट ने पांच लाख हर्जाना लगाया
कोर्ट ने पांच लाख हर्जाना लगाया है और कहा है कि यह राशि हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में 30 दिन मे जमा की जाय। यदि जमा नहीं की जाती तो महानिबंधक भूमि राजस्व की भांति वसूली करे।
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