जयपुर : राजस्थान में एचपीसीएल और बीपीसीएल पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके हैं। पेट्रोल और डीज़ल की आपूर्ति नहीं कर रही है। पेट्रोल पंपों पर भीड़ उमड़ रही है। देर रात राजधानी जयपुर में पेट्रोल पंपों पर भीड़ उमड़ गई। हालात का संभालने के लिए पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। जयपुर के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल और डीज़ल उपलब्ध नहीं होने के बोर्ड लग चुके है। राजस्थान पेट्रोल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनीत बगई ने बताया कि अगले तीन से चार दिन तक सुधार के आसार भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। क़िल्लत की पहली बड़ी वजह है दो हफ़्ते से रिलायंस और एस्सार के पेट्रोल पम्प्स का बंद होना है। इन दोनों कम्पनियों का राजस्थान में मार्केट शेयर करीब पंद्रह फ़ीसदी है। अब इनके पम्प्स बंद हुए तो इनका भार अन्य कम्पनियों के पेट्रोल पम्प्स पर आ गया। लोग पेट्रोल और डीजल की किल्लत के बीच अपने वाहनों में तेल डलवाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। जयपुर के लगभग सभी पेट्रोल पंपों पर भीड़ के कारण हालात बिगड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले 3 दिनों से प्रदेश के कुछ पेट्रोल पम्पों के ड्राई होने के मामले सामने आ रहे थे। लेकिन मंगलवार दोपहर को राजधानी जयपुर के एचपीसीएल और बीपीसीएल पंपों पर भी पेट्रोल और डीजल खत्म होने लगा और शाम होते-होते शहर के अधिकतर पंप ड्राई हो गए। ऐसे में देर रात आईओसीएल के पेट्रोल पंपों पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली। जयपुर के रामगढ़ मोड़, शास्त्री नगर, झोटवाड़ा, वैशाली नगर, प्रताप नगर और विद्याधर नगर के कुछ इलाकों में पेट्रोल पंप पर लोगों की भीड़ नजर आने लगी। जिसके बाद सड़कों पर जाम की स्थिति बन गई। ऐसे में स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई और पेट्रोल पंप पर पुलिस की मौजूदगी में पेट्रोल दिया गया। राजस्थान में करीब 3 हजार पेट्रोल पंप बीपीसीएल और एचपीसीएल कंपनी के हैं। जहां से हर दिन पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति की जाती है,लेकिन पिछले कुछ समय से एचपीसीएल और बीपीसीएल कंपनी की ओर से पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति को रोक दिया गया है।
राजस्थान में लगभग हर दिन 25 लाख लीटर पेट्रोल और 1 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है। इनमें से 50 फ़ीसदी पेट्रोल और डीजल की खपत आईओसीएल पेट्रोल पंप पर होती है। जबकि 22 फ़ीसदी बीपीसीएल और 22 फीसदी एचपीसीएल कंपनी तेल की आपूर्ति करते हैं। जबकि 6 फीसदी प्राइवेट कंपनियों के पेट्रोल पंप मौजूद हैं। पेट्रोल- डीजल की कमी की वजह से आम आदमी तो परेशान है। खेती किसानी और उद्योग-धंधों पर भी इसका असर पड़ रहा है। उद्योगों के उत्पादन और किसानों को बुवाई के मौसम में डीजल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।