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विदेशी कनेक्शन का PFI खुद ही दे रहा सबूत? पुणे में लगाए ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे

मुंबई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से गुरुवार को देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी के एक दिन बाद पुणे में जोरदार प्रदर्शन हुआ। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पीएफआई के 35 से ज्यादा सदस्यों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान पुणे में जिला कलेक्टर ऑफिस के बाहर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे सुने गए।

न्यूज एजेंसी एएनआई ने इन नारों का एक वीडियो ट्वीट किया है। इसके साथ एजेंसी की ओर से एक नोट भी जारी हुआ है। जो कुछ इस तरह से है- ‘नोट: मूल वीडियो फीड में उच्च परिवेश शोर के कारण नारों के कुछ हिस्से धीमे थे। मौके पर मौजूद संवाददाताओं ने नारों की जानकारी की पुष्टि की है।’

बूंदगार्डन पुलिस थाने के सीनियर इंस्पेक्टर ने कहा कि पीएफआई के 35-40 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया, क्योंकि उन्हें प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी गई थी। PFI के कार्यकर्ता ED-CBI-पुलिस की छापेमारी के खिलाफ इकट्ठे हुए थे। कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने शुक्रवार को हिरासत में लिया था, जिन्हें आज सुबह गिरफ्तार कर लिया गया है।

एनआईए की अगुवाई में गुरुवार को पीएफआई पर कार्रवाई की गई थी। इस चरमपंथी इस्लामी संगठन के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, देश में कथित रूप से आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पीएफआई के विरुद्ध 15 राज्यों में 93 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की गई थी।

वहीं, एनआईए ने दावा किया है कि पीएफआई के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है, जिसमें एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है। कोच्चि में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया।

ईडी ने शुक्रवार को बताया था कि पीएफआई के विदेश में रहने वाले कुछ सदस्यों ने भारत में प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) खातों में कोष भेजा, जिसे बाद में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन को ट्रांसफर कर दिया गया। इसका मकसद विदेशी वित्तोषण से संबंधित कानून से बचना था। ED ने आरोप लगाया कि PFI ने विदेश में कोष इकट्ठा किया और उसे हवाला/अन्य माध्यम से भारत भेजा। कोष पीएफआई/सीएफआई और अन्य संबंधित संगठनों के सदस्यों, कार्यकर्ताओं या पदाधिकारियों के खातों के जरिए भी भेजा गया।

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