अन्तर्राष्ट्रीय

दक्षिण चीन सागर में चीन को जवाब देता फिलीपींस

नई दिल्ली (विवेक ओझा): दक्षिण चीन सागर प्रशांत महासागर का वह हिस्सा है जो चीन की महत्वाकांक्षाओं का गढ़ माना जाता रहा है। इस समुद्री इलाके के कई हिस्सों पर चीन के अवैध दावे अक्सर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और चीन के बीच दरार खड़ी कर देते हैं। अब ताज़ा मामला फिलीपींस का देखा गया है जिसने दक्षिण चीन सागर में अपने नए ऊर्जा अन्वेषण परियोजनाओं को चलाने की बात कर चीन को चुनौती दे दी है। इसके अलावा फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव से निपटने के जापान के साथ डिफेंस पैक्ट करने में रुचि दिखाई है। इन बातों से चीन पर प्रभाव पड़ा है। दक्षिण पूर्वी एशियाई देश फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने साफ़ तौर पर कहा है कि फिलीपींस तो शांतिपूर्ण माहौल चाहता है, चीन ही गलत तरीके से फिलीपींस के समुद्री क्षेत्रों पर गलत दावे कर रहा है। चीन फिलीपींस के बीच रीड बैंक क्षेत्र को लेकर विवाद पहले ही देखा जा चुका है।

दक्षिण चीन सागर विवाद दुनिया के सबसे बड़े महासागरीय विवाद के रूप में माना जाता है । चीन के दक्षिण में स्थित सागर जो प्रशांत महासागर का भाग है , को ही दक्षिण चीन सागर कहते हैं । चीन से लगे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और उनके द्वीपों को लेकर भी चीन और वियतनाम , इंडोनेशिया , मलेशिया, ब्रूनेई दारुसल्लाम, फिलीपींस , ताइवान , स्कार्बोराफ रीफ आदि क्षेत्रों को लेकर विवाद है । लेकिन मूल विवाद की जड़ है दक्षिण चीन सागर में स्थित स्पार्टले और परासेल द्वीप ।

चीन ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में अतिक्रमण कर वहां अपनी संप्रभुता के दावों के लिए नौ स्थानों पर डैश या चिन्ह लगाकर विवाद को बढ़ा दिया है इसलिए इस विवाद को नाइन डैश लाइन विवाद भी कहते हैं । चीन का नाइन डैश लाइन यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी , 1982 के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन की मान्यता का खंडन करता है । चीन की निगाह दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के ईईजेड और साउथ चाइना सी के द्वीपों में पाए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों , प्राकृतिक तेल , गैस , मत्य संसाधनों पर है । इसलिए हाल में स्पारटले और पारासेल के अलावा चीन और वियतनाम के बीच वैनगार्ड बैंक को लेकर , चीन फिलीपींस के बीच रीड बैंक को लेकर , मलेशिया के साथ लूकोनिया शोल को लेकर , ताइवान के साथ स्कारबोराफ रीफ के स्वामित्व को लेकर विवाद है ।

दक्षिण चीन सागर का महत्व:

चीन को प्राकृतिक तेल की आपूर्ति मध्य पूर्व से होती है , और मलक्का जलडमरुमध्य के रास्ते से होता है । अक्सर अमेरिका चीन को चेतावनी देता है कि वह मलक्का जलडमरुमध्य को ब्लॉक कर देगा जिससे चीन की ऊर्जा आपूर्ति रुक जाएगी । इसलिए चीन दुनिया भर के अन्य देशों में अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सजग और आक्रामक हुआ है ।

यही कारण है कि चीन को दक्षिण चीन सागर में अपने भू आर्थिक और भू सामरिक हित दिखाई देते हैं । दक्षिण चीन सागर में 11 बिलियन बैरेल प्राकृतिक तेल के भंडार है, 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस के भंडार है , जिसके 280 ट्रिलियन क्यूबिक फीट होने की संभावना व्यक्त की गई है । यह क्षेत्र ऐसा हैं जहां से हर वर्ष 5 ट्रिलियन डॉलर मूल्य का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संभव होता है। यहां स्थित महत्वपूर्ण समुद्री व्यापारिक मार्गों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुगमता होती है । यह क्षेत्र अपार मत्स्य संसाधन वाला क्षेत्र है । इसलिए चीन इस प्रकार के क्षेत्रों में रुचि रखता है । इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला समंदर का ये हिस्सा, क़रीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इस पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताईवान और ब्रुनेई अपना दावा करते रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण इस समुद्री इलाक़े में जीवों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं।

आज से तीन-चार साल पहले तक इस इलाक़े को लेकर इतनी तनातनी नहीं थी फिर अचानक, क़रीब तीन साल पहले चीन के समंदर में खुदाई करने वाले जहाज़, बड़ी तादाद में ईंट, रेत और बजरी लेकर दक्षिणी चीन सागर पहुंचे। फिर इन जहाजों ने एक छोटी समुद्री पट्टी के इर्द-गिर्द, रेत, बजरी, ईंटों और कंक्रीट की मदद से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया। यहां सबसे पहले एक बंदरगाह बनाया गया फिर हवाई जहाज़ों के उतरने के लिए हवाई पट्टी। देखते ही देखते, चीन ने दक्षिणी चीन सागर में एक आर्टिफ़िशियल द्वीप तैयार कर के उस पर सैनिक अड्डा बना लिया। चीन ने दक्षिण चीन सागर के द्वीपों में कई प्रकार के अवैध कार्य किए हैं । अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए चीन ने यहां कृत्रिम द्वीप बनाए हैं , संसाधन अन्वेषण के लिए सर्वे भी किए हैं ।

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