राज्य
Photos में देखिए नक्सलियों की हार्डकोर ट्रेनिंग, गुरिल्ला वार में होते हैं माहिर
रायपुर। सुकमा हमले के बाद सुरक्षा बलों ने नक्सली विरोधी अभियानों में तेजी कर दी है। बाकायदा रणनीति बनाकर नक्सलियों पर धावा बोला जा रहा है। वहीं इस अभियान के बीच सोशल मीडिया पर नक्सलियों की हार्ड कोर ट्रेनिंग के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं। जानिए पूरा मामला…
– जंगल में एंबुश बनाकर अचानक हमले करने में माहिर नक्सलियों को हार्डकोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है।
– चाहे युवक हों या युवतियां सभी को एक तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।
– पेड़ों पर रस्सी बांधकर उसपर सरककर चलना, लटक रही रस्सी से नीचे उतरना, जंप करने की क्षमता डवलप करना, लकड़ी के भारी कुंदे लेकर जमीन पर सांप की तरह सरककर चलना जैसी बातें ट्रेनिंग में शामिल होती है।
– वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे नक्सली युद्ध की तैयारी में जुटे हैं।
– खुद को गुरिल्ला वार के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं।
– चाहे युवक हों या युवतियां सभी को एक तरह की ट्रेनिंग दी जाती है।
– पेड़ों पर रस्सी बांधकर उसपर सरककर चलना, लटक रही रस्सी से नीचे उतरना, जंप करने की क्षमता डवलप करना, लकड़ी के भारी कुंदे लेकर जमीन पर सांप की तरह सरककर चलना जैसी बातें ट्रेनिंग में शामिल होती है।
– वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे नक्सली युद्ध की तैयारी में जुटे हैं।
– खुद को गुरिल्ला वार के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं।
सुकमा हमला: हमले के वक्त लंच कर रहे थे सीआरपीएफ जवान
– बताया जा रहा है कि ट्रेनिंग का ये वायरल वीडियो अबूझमाड़ इलाके का है। नक्सली कैम्प में छापेमारी के दौरान पुलिस इस तरह के वीडियो बरामद करती है।
बॉर्डर की लड़ाई से ज्यादा टफ है जंगल वार
– सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर बीके पोनवर ने बताया कि नक्सली गुरिल्ला वार में माहिर होते हैं।
– उनसे आमने-सामने लड़ाई लड़ने की उम्मीद बेमानी होती है।
– घने जंगल में दुश्मन के बीच लड़ना बेहद कठिन होता है। गोली किस पेड़ की टहनियों को चीरते हुए कब आती है पता ही नहीं चलता है।
– इंडो-पाक सीमा पर तो ये पता होता है कि दुश्मन सामने है। गोली सामने से ही आएगी।
– वहीं जंगल में ये पता लगाना कठिन होता है। ऐसे में जवानों को भी गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग दी जाती है।
– कांकेर में स्थित जंगल वेलफेयर कॉलेज में बीके पोनवर जवानों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग देते हैं।
– उनका कहना है कि इनके ट्रेंड किए हुए 32 हजार लोगों को आज तक कोई नुकसान नहीं हुआ है।
– इसमें अधिकतर पुलिस के जवान हैं। सब नक्सल इलाकों में काम कर रहे हैं या काम कर चुके हैं।
– उनसे आमने-सामने लड़ाई लड़ने की उम्मीद बेमानी होती है।
– घने जंगल में दुश्मन के बीच लड़ना बेहद कठिन होता है। गोली किस पेड़ की टहनियों को चीरते हुए कब आती है पता ही नहीं चलता है।
– इंडो-पाक सीमा पर तो ये पता होता है कि दुश्मन सामने है। गोली सामने से ही आएगी।
– वहीं जंगल में ये पता लगाना कठिन होता है। ऐसे में जवानों को भी गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग दी जाती है।
– कांकेर में स्थित जंगल वेलफेयर कॉलेज में बीके पोनवर जवानों को गुरिल्ला वार की ट्रेनिंग देते हैं।
– उनका कहना है कि इनके ट्रेंड किए हुए 32 हजार लोगों को आज तक कोई नुकसान नहीं हुआ है।
– इसमें अधिकतर पुलिस के जवान हैं। सब नक्सल इलाकों में काम कर रहे हैं या काम कर चुके हैं।
फोटो : रमाशंकर साहू