कोरोना को रोकने के लिए शारीरिक दूरी पर्याप्त नहीं, दो मीटर की दूरी पर संक्रमित कर सकता है संक्रमित मरीज
लंदन: खतरनाक महामारी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए शारीरिक दूरी पर्याप्त नहीं है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के इंजीनियरों की ओर से की गई रिसर्च में दावा किया गया है। यह भी कहा गया है कि एक बंद स्थान पर बैठा कोरोना संक्रमित शख्स बाहर भी दो मीटर की दूरी पर किसी और को भी संक्रमित कर सकता है।यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के इंजीनियरों के एक दल ने इस बारे में निर्धारण के लिए कम्प्यूटर मॉडलिंग का उपयोग किया कि लोगों के खांसने पर उसकी बहुत छोटी-छोटी बूंदें (ड्रॉपलेट) कैसे फैलती हैं।
उन्होंने पाया कि मास्क नहीं होने की स्थिति में कोविड-19 से ग्रस्त कोई व्यक्ति बंद स्थान से बाहर भी दो मीटर की दूरी पर किसी और को संक्रमित कर सकता है।ब्रिटेन में इस दूरी का इस्तेमाल किया जा रहा है.रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि लोगों के खांसने का असर बड़े क्षेत्र में होता है और किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य अथॉरिटी के बताए अनुसार तथाकथित ‘सुरक्षित’ दूरी एक से तीन या और अधिक मीटर के बीच हो सकती है।अध्ययन के प्रथम लेखक और भारतीय मूल के डॉ श्रेय त्रिवेदी ने कहा, ‘इस बीमारी के फैलने का एक हिस्सा विषाणु विज्ञान से जुड़ा है, यानी आपके शरीर में कितने वायरस हैं, आपने बोलते या खांसते समय कितने वायरल तत्वों को बाहर निकाला।’वहीं, अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए केंद्र यानी सीडीसी की स्टडी में बताया गया है कि मुख्यतौर पर लोग संक्रमित रेस्पिरेट्री फ्लूड से होते हैं जिसमें संक्रमण करने की क्षमता रखने वाला वायरस मौजूद रहता है।
बंद चारदिवारी और खराब वेंटिलेशन वाली जगहों पर एरोसॉल हवा में काफी देर तक तैरता रहता है और एक मीटर से ज्यादा दूरी तक हवा में तैरकर ये लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है।इसलिए सीडीसी गाइडलाइन्स उन नियमों को इंडोर्स करता है जिसके तहत क्लोज्ड परिवार में लोगों को मास्क के साथ-साथ दूरियां और प्रॉपर वेंटिलेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रिसर्च का निचोड़ यह है कि सामाजिक दूरी अपने आप में वायरस के असर को कम करने का उपाय नहीं है और विशेष रूप से आने वाली सर्दियों में ये टीकाकरण, हवा की उचित आवाजाही और मास्क के सतत महत्व को रेखांकित करते हैं।