मथुरा के गया घाट में पिंडदान करने से पितरों को मिलता है मोक्ष
मथुरा : पितृ पक्ष में ब्रजवासियों के साथ साथ देश के विभिन्न भागों के लोग गया जाने की जगह अपने पितरों के मोक्ष के लिए राधाकुण्ड में ‘गया घाट’ पर पिण्डदान करते हैं।
राधाकुण्ड वह पावन स्थल है जहां पर राधा और कृष्ण ने स्वयं के स्नान के लिए कुण्डों को इस प्रकार प्रकट किया था कि दोनो कुण्ड अस्तित्व में आने के बाद एक हो जायें। इन कुण्डों के किनारे 19 घाट बने हुए हैं जिनमें से एक घाट गया घाट भी है। ब्रज संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान शंकरलाल चतुर्वेदी ने रविवार को बताया कि गया में पिण्डदान करने से जो फल प्राप्त होता है उससे 100 गुना अधिक फल गया घाट पर पिण्डदान करने से मिलता है।
राधा कुण्ड में यह घाट राधा विनोद घाट के निकट है। उन्होंने बताया कि इस घाट पर पितरों के मन को शांति मिलना निश्चित है तथा यहां पर पिण्डदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यद्यपि गया में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ के मोक्ष के लिए पिण्डदान किया था पर यहां पर तो साक्षात मुरलीमनोहर राधारानी ने राधारानी के साथ तीर्थों और उनके पवित्र जल को प्रकट किया था।