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PK के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज, जल्द ले सकते हैं फैसला

यूपी में कांग्रेस पार्टी की करारी शिकस्त के बीच राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस ज्वाइन करने की अटकलें तेज हो गई हैं. बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर जल्द ही इस पर फैसला ले सकते हैं. हालांकि अभी उन्होंने पार्टी ज्वाइन करने पर कोई फैसला नहीं लिया है. लेकिन बताया जा रहा है कि 15 दिनों के अंदर प्रशांत कांग्रेस ज्वाइन करने पर फैसला लेंगे.

PK के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज, जल्द ले सकते हैं फैसला

एक रिपोर्ट में प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों के हवाले से ये दावा किया गया है. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत ने अपनी टीम के कोर सदस्यों से कांग्रेस के साथ जुड़े रहने पर चर्चा की है. उन्होंने अपनी टीम से पूछा कि कांग्रेस के साथ भविष्य में किस रूप में रहा जाए. हालांकि प्रशांत की टीम के सूत्रों ने उनके कांग्रेस ज्वाइन करने की खबर को बेबुनियाद करार दिया है. बता दें कि प्रशांत पहले ही किसी राजनीतिक दल से जुड़ने की बात नकार चुके हैं.

दरअसल प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस में अजीब स्थिति है. हाल ही में लखनऊ में पार्टी कार्यालय के बाहर एक कार्यकर्ता ने पोस्टर लगाया गया था. इस पोस्टर के जरिए यूपी में कांग्रेस की करारी हार की टीस साफ नजर आई. पोस्टर में प्रशांत किशोर का पता बताने वाले को पांच लाख रूपये इनाम की घोषणा की थी.

हालांकि इस खबर के बाद पार्टी हाईकमान ने प्रशांत का बचाव किया. पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मंगलवार को किशोर के समर्थन में ट्वीट किया. उन्होंने लिखा ,’कांग्रेस पार्टी पीके (प्रशांत किशोर) तथा उनकी टीम द्वारा की गई कड़ी मेहनत और योगदान की कद्र करती है, और निहित स्वार्थों के तहत किए जा रहे प्रचार को खारिज करती है…’ वहीं इससे पहले पंजाब में कांग्रेस की शानदार जीत के लिए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पीके की तारीफ की थी.

हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनाव में पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य रहा, जहां कांग्रेस को कामयाबी मिली. पंजाब में प्रशांत किशोर ने प्रचार की रणनीति बनाई थी. वही यूपी उत्तराखंड में पीके की टीम ने स्ट्रैटेजी तैयार की थी लेकिन इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की करारी हार हुई.

बता दें कि 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने का श्रेय मिला था. इसके बाद 2015 में बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की गद्दी पर पहुंचाने का क्रेडिट भी उन्हें ही मिला. इसके बाद प्रशांत किशोर की सलाह पर ही कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि उनका ये फॉर्मूला कारगर साबित नहीं हुआ और कांग्रेस को कुल 403 में से सिर्फ सात सीटों पर ही जीत मिल पाई.

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