पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
दिलीप कुमार, पटना
दूसरों की जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर (पीके) अपनी पार्टी की पहली चुनावी रणनीति में फेल हो गए। बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में बहुत खास तो नहीं कर सके, लेकिन अपनी ताकत का थोड़ा-बहुत अहसास अवश्य कराया है। तीन सीटों पर उनके प्रत्याशी तीसरे नंबर पर तो एक पर चौथे नंबर पर रहा। राजद का खेल बिगाड़ने का काम भी किया। सबसे बड़ा झटका इस चुनाव में लालू की पार्टी राजद को ही लगा। राजद के पास रामगढ़ और बेलागंज सीट थी। दोनों पर हार मिली। वहीं, तरारी माले के कब्जे में थी। वह भी नहीं जीत सकी। इस तरह देखा जाए तो महागठबंधन अपनी तीनों सीटें गंवानी पड़ी। पीके ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ और ठोक बजाकर किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश अवश्य होंगे कि चार में से तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। एक सीट रामगढ़ में उनका प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहा।
सबसे अधिक वोट इमामगंज सीट से उनके उम्मीदवार जितेंद्र पासवान को 37 हजार 103 मिले। बेलागंज सीट पर मोहम्मद अमजद को 17,285 वोट मिले। वहीं, पार्टी को शाहाबाद से निराशा हाथ लगी। यहां दोनों उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच सकी। कैमूर जिले के रामगढ़ में जनसुराज के सुशील कुमार सिंह को मात्र 6,513 मतों से संतोष करना पड़ा। तरारी प्रत्याशी किरण कुछ खास नहीं कर सकीं। उन्हें 5,622 मत मिले। चार में दो सीटों पर जनसुराज ने बीच चुनाव में उम्मीदवार बदले थे। बेलागंज से पहले प्रो. खिलाफत हुसैन को टिकट दिया गया। बाद में उनकी जगह मोहम्मद अमजद को मैदान में उतारा गया। वहीं, तरारी से पहले उप सेना प्रमुख (सेवानिवृत्त) एसके सिंह को टिकट दिया गया। मतदाता सूची में उनका नाम नहीं होने के कारण यहां भी प्रत्याशी बदला गया।
राजद का माय गणित फेल
राजद का राज्य में बडे़ जनाधार और जीत का कारण माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण है। इसके चलते उसे जीत मिलती रही है। लेकिन, उनचुनाव में यह समीकरण फेल हो गया। इसके फेल होने में बड़ी भूमिका जनसुराज के साथ एआइएमआइएम की रही। अगर यह वोट नहीं काटते तो राजद को जीत मिलती। बात बेलागंज सीट की करें तो यहां पीके ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर राजद का वोट काटा। जदयू की मनोरमा देवी और राजद प्रत्याशी से 21 हजार 391 वोटों से जीतीं। यहां जनसुराज के मो. अमजद को 17 हजार 268 और एआइएमआइएम के प्रत्याशी को 3533 वोट मिले। इमामगंज सीट से हम की दीपा मांझी राजद प्रत्याशी से 5945 वोट ज्यादा पाकर जीतीं। यहां जनसुराज प्रत्याशी को 37 हजार 103 वोट मिले थे। एआइएमआइएम प्रत्याशी को 7493 वोट मिले थे। रामगढ़ से भाजपा प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह महज 1362 वोट से जीते। राजद की यह सीटिंग सीट थी।
यहां सबसे बड़ी बात यह रही कि बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार सिंह 60 हजार 895 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। यहां जनसुराज प्रत्याशी को 6506 वोट मिले थे। तरारी सीट को देखें तो यह वाम दलों का गढ़ रहा है। 2015 में अकेले दम पर भाकपा माले ने यहां से जीत दर्ज की थी। 2020 के चुनाव में राजद के साथ आने के बाद माले का गढ़ और मजबूत हुआ था। उपचुनाव में माले को हार मिली। यहां भाजपा प्रत्याशी को 10 हजार 612 वोटों से जीत मिली थी। जनसुराज प्रत्याशी को 5622 वोट मिले थे। चारों सीटों में सबसे कम वोट जनसुराज को इसी सीट पर मिले।