झारखण्डराज्य

झारखंड में पुलिस-नक्सली मुठभेड़, हथियार बरामद, भाग निकला पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप

खूंटी: झारखंड के खूंटी और चाईबासा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में सोमवार की सुबह पुलिस और पीएलएफआई के बीच मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप बच निकलने में सफल रहा. ये मुठभेड़ गुदड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत टेमना और भुड़ के जंगल में हुई. जंगल-झाड़ी का फायदा उठाकर उग्रवादी भागने में सफल रहे. मौके से पुलिस को हथियार और दैनिक उपयोग के कई सामान मिले हैं.

पुलिस ने एक कार्बाइन, 55 राउंड गोलियां, 29 मोबाइल, 11 चार्जर, 10 पिठ्ठू बैग, 9 एमएम की एक मैग्जीन, पर्चा, रसीद और दैनिक उपयोग के सामान बरामद किए हैं. मुठभेड़ गुदड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत टेमना और भुड़ के जंगल में हुई. एसपी आशुतोष शेखर ने बताया कि पीएलएफआई उग्रवादियों के सक्रिय होने की सूचना पर खूंटी और चाईबासा की संयुक्त पुलिस बल और झारखंड जगुआर की टीम ने अभियान चलाया. पुलिस को देख उग्रवादियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं. पुलिस की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गयी. जिसमें दोनों ओर से 100 राउंड से अधिक गोलियां चली हैं.

एसपी ने बताया कि मुठभेड़ में पीएलएफआई का कोर ग्रुप शामिल था. जिसमें पीएलएफआई का सुप्रीमो दिनेश गोप, मार्टिन केरकेट्टा, तिलकेश्वर गोप, कृष्ण यादव, अवधेश जायसवाल सहित आठ से दस उग्रवादी शामिल थे. उन्होंने बताया कि जंगल-झाड़ी का फायदा उठाकर उग्रवादी भागने में सफल रहे. अभियान एएसपी रमेश कुमार और तोरपा एसडीपीओ ओम प्रकाश तिवारी के नेतृत्व में चलाया गया था. इस संबंध में गुदड़ी थाना में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.

गुदड़ी थाना क्षेत्र में पुलिस और पीएलएफआई के बीच कई बार मुठभेड़ हो चुकी है. हाल के दिनों में खूंटी जिला पुलिस बल के साथ ही तीन बार से अधिक मुठभेड़ हो चुकी है. एसपी आशुतोष शेखर ने बताया कि दिसंबर 2020 में हुए एक मुठभेड़ में एक उग्रवादी गिरफ्तार हुआ था. वहीं एक मारा गया था. 27 जून को भी पीएलएफआई के साथ मुठभेड़ हुआ था. वहीं जुलाई में भी हुए मुठभेड़ में बड़ी संख्या में हथियार सहित कई सामान बरामद किया गया था. उक्त सभी मुठभेड़ में पीएलएफआइ का सुप्रीमो दिनेश गोप भाग निकलने में सफल रहा.

खूंटी के एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस लगातार अभियान चला रही है. सूचनाओं के आधार पर उनके खिलाफ अभियान चलाकर गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं आत्मसमर्पण नीति के तहत उग्रवादियों को मुख्य धारा में वापस लाने का भी प्रयास किया जा रहा है.

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