मोदी कैबिनेट ने लाल बत्ती पर पाबंदी लगा दी है। ये फैसला एक मई से लागू होगा। VVIP कल्चर समाप्त करने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। इसके दायरे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री समेत सभी शामिल हैं। किसी को छूट नहीं है।
कैबिनेट की इस बैठक के बाद पत्रकारों से मुखातिब होते हुए अरुण जेटली ने फैसलों पर विस्तार से बात की। जेटली ने बताया कि सरकार 16 लाख से ज्यादा वीवीपीएटी मशीनें खरीदेगी। कैबिनेट ने 3,000 करोड़ रुपए नई ईवीएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय विपक्षी दलों द्वारा लगातार ईवीएम मशीन पर संदेह और भविष्य में होने वाले चुनावों में वीवीपीएटी मशीन के इस्तेमाल की मांग पर लिया गया है।
बता दें कि चुनाव आयोग 2014 से अबतक 11 बार सरकार को वीवीपीटी मशीनों के लिए कह चुका था। वहीं पिछले साल मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीवीपीएटी मशीनों के लिए फंड जारी करने के लिए लिखा था
इसके अलावा सरकार ने कैबिनेट के उस फैसले पर भी बात की जिसमें सरकार के मंत्रियों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटवाने की बात कही। अभी तक मापदंडों के मुताबिक, केन्द्र में 32 कैबिनेट मंत्रियों और कुछ अन्य लोगों के गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाने की अनुमति दी जाती है, जो कैबिनेट मंत्री के पद के बराबर माने जाते हैं। वहीं राज्यों में मंत्रियों की संख्या इससे अधिक होती है। बताया जा रहा है कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ परामर्श लेने के बाद पीएमओ के लिए तीन विकल्प भेजे थे। उनमें से एक विकल्प लाल बत्तियों के इस्तेमाल को समाप्त करना था। सूत्रों मुताबिक यह प्रस्ताव डेढ़ साल से ज्यादा के लिए लंबित है।
गौरतलब है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने सबसे पहले इस कल्चर को समाप्त किया था। उसके बाद पंजाब में अमरिंदर सिंह के सरकार बनने के बाद ये फैसला लिया गया। हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों के लाल बत्ती पर रोक लगा दी थी।